सरकार ने शुरू हाई कोर्ट के 44 जजों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की

LiveLaw News Network

14 Jun 2017 7:37 AM GMT

  • सरकार ने शुरू हाई कोर्ट के 44 जजों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की

    सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम की ओर से नाम दोबारा भेजने के बाद केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के 44 जजों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है।

    इलाहाबाद हाई कोर्ट में सबसे ज्यादा वेकेंसी है और इन नामों में 29 नाम इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज की नियुक्ति के लिए है। इसके अलावा दो कर्नाटक हाई कोर्ट, 7 कोलकाता हाई कोर्ट और 6 मद्रास हाई कोर्ट के लिए है। इन हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति होनी है और नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई है।

    सुप्रीम कोर्ट को पिछले साल नवम्बर में सूचित किया गया था कि सरकार ने इन सभी नामों को वापस कर दिया है ताकि इन पर फिर से विचार किया जा सके। परंतु तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन नामों की फिर से अनुशंसा करते हुए कहा था कि सरकार इस मामले में अड़चन पैदा करने की कोशिश कर रही है। हम पर इस बात के लिए दबाव न बनाया जाए कि हम पूछे कि फाइल कहां पर है। न ही हमें इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप के लिए मजबूर किया जाए। न ही संस्थान को पिसने वाली स्थिति में लाया जाए। यह सब चीजें ठीक नहीं है। अगर हमारे द्वारा भेजे गए नामों में कोई समस्या है तो उनकी फाइल हमें वापिस भेज दी जाए। हमें उन पर फिर से विचार करने में कोई समस्या नहीं है। परंतु इस तरह की अड़चन पैदा करने से परेशानी पैदा हो रही है। क्या आपको पता है कि ज्यादातर हाई कोर्ट अपनी कुल क्षमता के 40 प्रतिशत पर काम कर रही है। लोग 13-13 साल से जेल में बंद है और अपने मामले की सुनवाई का इंतजार कर रहे है।

    इसके बाद अप्रैल में मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के कॉलिजियम ने फिर से इन नामों की अनुशंसा की थी। परंतु इस बार सरकार थोड़ी शांत हो गई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस अनुशंसा को खारिज कर दिया था,जिसमें कहा गया था कि नेशनल सिक्योरटी के आधार पर किसी जज के नाम को खारिज करने की अनुमति दी जाए।

    मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता में इस कोलिज्यम में कुल पांच जज शामिल है। कोलिज्यम ने दस मार्च को अपनी अंतिम बैठक की थी। जिसमें सरकार की नेशनल सिक्योरटी के आधार पर किसी जज के नाम को खारिज करने की अनुमति देने की मांग को नकार दिया गया था,जबकि इससे पहले आई रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार व कॉलिजियम के बीच इस तथ्य पर सहमति बन रही है। 13 मार्च को केंद्र सरकार को एक पत्र भेजकर कॉलिजियम के विचारों से अवगत करा दिया गया था।

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