मृतक से किसी के संबंध भर होने से उस गवाह का बयान नहीं नकारा जा सकताः सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
14 Jun 2017 7:30 AM GMT
मृतक के साथ संबंध भर होने से उक्त गवाह का बयान नहीं नकारा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हो सकता है कि इस तरह के गवाह के बयान की अच्छे तरीके से छानबीन की जाए और ज्यादा सावधानी बरती जाए।
हत्या के मामले में दायर अपील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर शादी के कारण कोई गवाह किसी मृतक से जुड़ा है,सिर्फ इस आधार पर उसे रिश्तेदार या संबंधित और दिलचस्पी लेने वाला गवाह (इंट्रेस्टेड विटनेस) करार देते हुए उसके बयान को नकारा नहीं जा सकता है।
चंद्रशेखर बनाम स्टेट के मामले में मृतक की पत्नी व उसके रिश्तेदार मुख्य गवाह थे। उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद आरोपी को पीड़ित पर हमला करते देखा था। इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उसे उम्रकैद की सजा दी थी। जिसे उच्च न्यायालय ने भी उचित ठहराया था।
कोर्ट ने इस मामले में उस दलील को खारिज कर दिया,जिसमें कहा गया था कि यह सभी दिलचस्पी लेने वाले गवाह है और इसलिए इनका बयान खारिज कर दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बस इस तरह के मामलों में सबूतों पर विचार करते समय ज्यादा सावधानी व तहकीकात की जरूरत होती है।
जहां तक पत्नी द्वारा दिए गए बयान की बात है तो खंडपीठ ने कहा कि वह मृतक की पत्नी है। ऐसे में हमें ऐसा कोई कारण नहीं मिला,जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि उसने असली आरोपियों को बचाकर किसी अन्य को झूठा फंसा दिया हो। जबकि सच्चाई यह है कि उसने साहस दिखाया और बताया कि उसके अपने ससुराल वाले ही हमलावर थे। जिससे साफ जाहिर है कि उसका बयान विश्वसनीय है।