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सिर्फ पति की आय के आधार पर नहीं किया जा सकता है गुजारे भत्ते का निर्धारणः हाईकोर्ट

LiveLaw News Network
14 Jun 2017 7:26 AM GMT
सिर्फ पति की आय के आधार पर नहीं किया जा सकता है गुजारे भत्ते का निर्धारणः हाईकोर्ट
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दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि गुजारा भत्ता का निर्धारण सिर्फ पति की अामदनी पर निर्भर नहीं होगा। पत्नी को कितना गुजारा भत्ता दिय़ा जाए इसके लिए कोई मैथेमेटिकल फॉर्मूला नहीं है बल्कि ये केस और दोनों पक्षों की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। इस मामले में फैमिली कोर्ट ने पति को निर्देश दिया था कि वह अपनी पत्नी को अंतरिम गुजारे भत्ते के तौर पर 22 हजार रूपए प्रतिमाह दे। यह राशि पत्नी को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत केस दायर करने की तिथि से लेकर केस के निपटने तक देने का आदेश दिया गया था।

वहीं पति के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून की धारा 12 के तहत भी पति के खिलाफ एक केस लंबित है। इसके अलावा आईपीसी की धारा 498ए व 406 के तहत भी पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

हालांकि बाद में हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 के तहत कोर्ट ने फिर से दोनों को साथ रहने का आदेश दिया और पति को अग्रिम जमानत दे दी गई। जिसके बाद पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत एक अर्जी दायर कर दी। जिसके तहत कोर्ट ने पति को अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया,जिसे पति ने चुनौती दे दी।

न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने अपने आदेश में कहा कि इस प्रावधान के तहत जब गुजारे भत्ते का निर्धारण किया जाता है तो उसके लिए सिर्फ पति की आय को आधार नहीं बनाना चाहिए। इसके लिए दोनों पार्टियों का स्टे्टस,पति की जिम्मेदारी व पति पर निर्भर लोगों की संख्या को भी ध्यान में रखना चाहिए। साथ ही कहा कि गुजारे भत्ते का निर्धारण करने का कोई मैथमेटिकल फार्मूला नहीं है। इसका निर्धारण करते समय कोर्ट को लचीला रवैया अपनना चाहिए। सारी परिस्थितियों को देखने के बाद कोर्ट के पास यह अधिकार है कि गुजारे भत्ते की राशि का निर्धारण करे।

इसलिए पति की आय को ध्यान में रखते हुए अंतरिम गुजारे भत्ते के आदेश में संशोधन किया जा रहा है और पति को निर्देश दिया जाता है कि वह अपनी पत्नी को बीस हजार रूपए प्रतिमाह गुजारे भत्ते के तौर पर दे।

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