प्रधानमंत्री मोदी ने किया सुप्रीम कोर्ट की इंटीग्रेटिड केस मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम का लोकार्पण
LiveLaw News Network
12 Jun 2017 1:37 AM IST
सुप्रीम कोर्ट पेपरलेस बनने की ओर बढ़ चला है। सुप्रीम कोर्ट के पेपरलेस बनने के कदम की प्रशंसा करते हुए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रभावी ज्यूडिशियल सिस्टम में टैक्नोलाॅजी की महत्वपूर्ण भूमिका है। वहीं इसे अपनाने के लिए माइंडसेट को बदलने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट इंटीग्रेटिड केस मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम(आईसीएमआईएस) का लोकार्पण करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे आपराधिक न्यायिक सिस्टम में हम दुर्घटना के मामलों में फैसला देने के लिए मोबाइल फोन डिटेल व सीसीटीवी फुटेज पर बतौर सबूत विश्वास करते है। आईटी के बढ़ते प्रभाव के चलते हमें बदलते विश्व के साथ मिलकर चलना होगा। अर्थमैटिक फाॅर्मूला आईटी प्लस आईटी बराबर आईटी की हिमायत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इंफ्रोमेशन टैक्नोलाजी प्लस इंडियन टैलेंट बराबर इंडिया टूमौरो।
अपनी सरकार के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया को दोहराते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि ई-गवर्नेस का मतलब है प्रभावी,आसान,आर्थिक व पर्यावरण फ्रेंडली। उन्होंने कहा कि जब हम डिजिलाईजेशन के लिए जाते है तो हम पर्यावरण में काफी योगदान करते है। पानी बचाने,पेड़ बचाने आदि के मुद्दों पर ध्यान दिया जाता है। इसी के साथ उन्होंने ज्यूडिशियरी से जुड़े लोगों से कहा कि वह अपना माइंडसेट बदले और डिजिटल टैक्नोलाॅजी को अपनाए ताकि देश बदलते विश्व के साथ मिलकर चल सके।
गरीबों की न्याय तक पहुंच बनाने में सरकार के प्रयास का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वकीलों को इस मूवमेंट में शामिल होना चाहिए और सरकार द्वारा शुरू किए डिजिटल सिस्टम के जरिए गरीबों को मुफत कानूनी सहायता देनी चाहिए।
उन्होंने शीर्ष कोर्ट को डिजिटल कोर्ट बनाने के लिए उठाए गए कदमों व मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान कोर्ट लगाने के निर्णय की भी सराहना की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश बदल रहा है। मुख्य न्यायाधीश द्वारा कुछ महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई अवकाशकाल के दौरान करने के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि हम छुट्टियों में भी काम कर रहे है। इस तरह के कदम न्यायपालिका में आम जनता के विश्वास को बढ़ाएंगे। नया भारत बनाने के लिए बदलाव जरूरी है।
इस मौके पर मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर ने कहा कि ग्रीष्मकालीन अवकाश खत्म होने के बाद जुलाई के पहले सप्ताह से सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में ई-फाइलिंग शुरू होगी।
जस्टिस केहर ने कहा कि पारदर्शिता बनाए रखने,कामकाज के सिस्टम को आसान बनाने व लंबित मामलों की संख्या को कम करने के लिए डिजिटल पंजीकरण की बहुत जरूरत है। कागजातों का डिजिटिलाईजेशन होने के कारण मुविक्कलों को सहायता मिलेगी। ऐसे में उनको एक ही केस दायर करना पड़ेगा क्योंकि जरूरत पड़ने वह केस अपने आप बड़ी कोर्ट के पास ट्रांसफर हो जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इन कागजातों से कोई छेड़छाड़ नहीं कर पाएगा। मुविक्कल अपने केस का स्टे्टस व उससे जुड़े आदेश भी देख पाएंगे। उनके केस से संबंधित सारी बातों की निगरानी हो पाएगी। उन्होंने कहा कि सभी हाईकोर्ट व निचली अदालतों को भी पेपरलेस होना चाहिए।
कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद भी इस मौके पर मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य सिर्फ डिजिटिलाईजेशन ही नहीं है बल्कि भारत को डिजिटल वल्र्ड का लीडर बनाना है। उन्होंने कहा कि ज्यूडिशियरी को डिजिटल कोर्ट बनाने में अपना सहयोग देना चाहिए ताकि संविधान के उस उद्देश्य को पाया जा सके जिसके तहत त्वरित न्याय देने की बात कही गई है।