एक अप्रैल से सिर्फ बीएस-चार कंप्लैंट वाले वाहन ही भारत में बनेगे,बिकेंगे और रजिस्टर्ड होगे-सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

31 May 2017 2:09 PM GMT

  • एक अप्रैल से सिर्फ बीएस-चार कंप्लैंट वाले वाहन ही भारत में बनेगे,बिकेंगे और रजिस्टर्ड होगे-सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने फिर से दोहराया है कि एक अप्रैल 2017 से भारत में सिर्फ बीएस-चार स्टैंडर्ड को पूरे करने वाले वाहन ही भारत में बनेगे,बिकेंगे और रजिस्टर्ड होगे।

    न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने वाहन उत्पादकों की तरफ से उस अर्जी को खारिज कर दिया है,जिसमें कहा था कि जब तक उनके स्टाॅक में खड़े वाहन बिक नहीं जाते है,तब तक वह एक अप्रैल 2017 से पहले और बाद में भी इन वाहनों को बेचने के हकदार है।
    29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाले बीएस-तीन कंप्लेंट वाहनों की बिक्री व रजिस्ट्रेशन पर पूरे देशभर में एक अप्रैल 2017 से रोक लगा दी थी। इसी तारीख से बीएस-चार इमिशन नाॅर्म लागू होने थे।

    खंडपीठ ने कहा कि आॅफिस मैमोरंडम की इस तरह से व्याख्या नहीं की जा सकती है कि आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री आखिरी तारीख तक बीएस-तीन कंप्लेंट वाहनों का उत्पादन करती रहे और उसके बाद स्टाॅक को खत्म करने की अनुमति मांगे। इस तरह से तो वह सब प्रयास खराब हो जाएंगे,जो इस दिशा में उठाए गए है ताकि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीने के अधिकार का पालन हो सके। साथ ही देश के करोड़ों पुरूष व महिलाएं कम प्रदूषित वातावरण में सांस ले सके और उन स्वास्थ्य मुद्दों से बच सके जो प्रतिदिन के कामकाज में झेल रहे है। देश में बढ़ते प्रदूषण के प्रति हमें अपनी आंखे बंद करने के लिए नहीं कहा जा सकता है।

    कोर्ट मित्र ने बीएस-तीन कंप्लेंट वाहनों की बिक्री व रजिस्ट्रेशन पर एक अप्रैल 2017 से रोक लगाने की मांग की थी। खंडपीठ ने उनकी दलीलों से सहमत होते हुए कहा कि इस तरह के वाहनों का जीवन कम से कम दस साल होगा। इसलिए हमारी चिंता सिर्फ देश के वर्तमान प्रदूषण के प्रति ही नहीं है बल्कि हमें अगली पीढ़ी की भी चिंता है। जिसे प्रदूषण रहित वातावरण में सांस लेने का मौका मिलना चाहिए।

    क्या हम सचमुच इस मामले में ऐसी भयंकर प्रदूषित हवा को पीछे छोड़ना चाहते है,जो अगले दस से पंद्रह साल तक ऐसी ही रहेगी? खंडपीठ ने यह भी कहा कि भारत सरकार ने अपनी परिशोधनशालाओं के जरिए लगभग तीस करोड़ रूपए खर्च किए है ताकि एक फयूल पाॅलिसी को एक्सपर्ट कमेटी की अनुशंसाओं के साथ लागू किया जा सके और बीएस-चार क्वालिटी फयूल एक अप्रैल 2017 के उपलब्ध हो सके। इसी के साथ कम से कम समय में ’वन कंट्री,वन फयूल’ के उद्देश्य को पूरा किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि आयकर देने वाली की कमाई से लगाए गए इतने पैसे को सिर्फ आॅटो मोबाइल इंडस्ट्री के हित के लिए कैसे खराब होने दिया जा सकता है। खुद पार्लिमेंट्री स्टैंडिंग कमेटी में इस बातचीत हो चुकी है कि आॅटो मोबाइल इंडस्ट्री भारत में वायु प्रदूषण फैलाने का बड़ा कारण बन चुकी है।

    वाहन उत्पादकों की तरफ से दायर अर्जी को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है,जब वायु प्रदूषण को कम करने के लिए मिलकर प्रयास किया जाए। इस मामले में वाहन उत्पादकों की भी काफी बड़ी भूमिका होगी,इसलिए अब उनको सामने आकर अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए ताकि सभी का लाभ हो सके।

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