निचली जाति के युवक से शादी करने के चलते कर दी थी गर्भवती बेटी की हत्या,सुप्रीम कोर्ट ने दी उम्रकैद की सजा

LiveLaw News Network

31 May 2017 5:21 PM IST

  • निचली जाति के युवक से शादी करने के चलते कर दी थी गर्भवती बेटी की हत्या,सुप्रीम कोर्ट ने दी उम्रकैद की सजा

    सुप्रीम कोर्ट ने कहाः आरोपी ने अपनी बेटी की हत्या की थी,जो अपनी प्रेग्रन्सी की एडवांस स्टेज पर थी। इसलिए वह आई.पी.सी की धारा 302 के तहत उम्रकैद या फांसी की सजा पाने का हकदार है।

    कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा एक व्यक्ति को दी गई दस साल कैद की सजा को बढ़ाकर उम्रकैद करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक आॅनर किलिंग का केस है। आरोपी गांधी डोडाबासाप्पा ने इस मामले में अपनी बेटी की हत्या इसलिए कर दी थी क्योंकि उसने निचली जाति के युवक से शादी कर ली थी।

    निचली अदालत ने इस मामले में आरोपी उसकी बेटी की हत्या के मामले में बरी कर दिया था। परंतु कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए आरोपी को हत्या की बजाय गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी करार दिया था। जिसके खिलाफ आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी।

    अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जे.एस.केहर व जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने सांकेतिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस मामले में आरोपी को हत्या के मामले में दोषी करार देने के लिए अभियोजन पक्ष ने पर्याप्त सबूत पेश किए है,इसी के साथ आरोपी को नोटिस जारी किया गया था।

    अब इस मामले की सुनवाई कर रही दूसरी पीठ के जस्टिस कुरियन जोसेफ की अगुवाई वाली बेंच ने माना कि आरोपी ने इस मामले में हत्या की है और उसे उम्रकैद की सजा दी।

    खंडपीठ ने कहा कि आरोपी ने उस बेटी की हत्या की है,जो अपने प्रेग्रन्सी की एडवांस स्टेज पर थी। इसलिए उसे आई.पी.सी की धारा 302 के तहत उम्रकैद या फांसी की हत्या दी जा सकती है। ऐसे में आरोपी को उम्रकैद की सजा दी जा रही है।

    इस मामले में हाईकोर्ट का कहना था कि आरोपी ने यह अपराध किया है क्योंकि वह एक परेशान पिता है क्योंकि उसकी बेटी ने निचली जाति के युवक से शादी कर ली थी। घटना वाले दिन वह अपनी इसी परेशानी पर नियंत्रण नहीं कर पाया और अपनी बेटी पर हमला कर दिया। इसलिए आरोपी को हत्या के मामले में दोषी करार नहीं दिया जाता है।

    सुप्रीम ने कहा कि हाईकोर्ट यह बताने में नाकाम रही है कि कैसे यह मामला आई.पी.सी की धारा 300 के तहत दिए गए पांच अपवादों में आता है। जब तक यह न बताया जाए कि केस किस अपवाद के तहत आता है,आरोपी को आई.पी.सी की धारा 304 के पार्ट एक या दो में दोषी करार नहीं दिया जा सकता है।

    खंडपीठ ने कहा कि पहले अपवाद के अनुसार आरोपी ने यह अपराध एकदम से आए गुस्से या घटना के कारण किया हो। परंतु मामले के रिकार्ड के अनुसार आरोपी ने अपनी बेटी शिल्पा का पीछा किया और गांव में बने महिला शौचालय तक गया,जहां पर उसने अपनी बेटी पर हमला किया। जिस कारण उसकी बेटी घायल हो गई और उसकी मौत हो गई। इसलिए इस मामले में पहला अपवाद भी लागू नहीं होता है। इतना ही नहीं इस मामले में धारा 300 के तहत दिया गया कोई अपवाद लागू नहीं होता है।

    Next Story