सरकार की तरफ से दायर होने वाले केसों में की जाए कमीःकानून मंत्रालय ने कहा केंद्र व राज्यों से

LiveLaw News Network

31 May 2017 11:42 AM GMT

  • सरकार की तरफ से दायर होने वाले केसों में की जाए कमीःकानून मंत्रालय ने कहा केंद्र व राज्यों से

    -मामलों पर अच्छे से विचार करने के बाद ही केस दायर किए जाए।

    -फर्जी मामलों की पहचान की जाए,इनको सही मामलों से अलग किया जाए। ऐसे मामलों को जल्दी से वापिस लेने के लिए या फिर निपटवाया जाए।

    -वही किसी मामले को सुलझाने के लिए केस दायर करने को आखिरी विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जाए।

    देश की विभिन्न अदालतों में लंबित 3.14 करोड़ मामलों में से लगभग 46 प्रतिशत मामलों में केंद्र सरकार पक्षकार है या राज्य सरकार। कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने केंद्रीय व राज्य मंत्रियों से कहा है कि वह मामलों पर अच्छे से विचार करके ही केस दायर करें और दायर किए जाने वाले मामलों की संख्या को घटाए। अब समय आ गया है कि मंत्री जरूरी केसों पर ध्यान दें क्योंकि न्यायपालिका उन मामलों पर अपना ज्यादातर समय दे रही है,जिनमें सरकार पार्टी है। वहीं इस तरीके से न्यायपालिका का बोझ भी तभी कम किया जा सकता है,जब हर केस पर अच्छे से विचार करके ही उसे दायर किया जाए। कानून मंत्री ने यह सारी बातें अपने कैबिनेट सहयोगियों व अन्य मंत्रालयों के मंत्रियों को लिखे पत्र में कही हैं।

    मुख्य न्यायाधीश ने सख्त लहजे में ऐसा कहा था

    कानून मंत्री का यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ समय पहले तत्कालीन मुख्य न्यायाधीशों पी सत्याशिवम,आर.एम लोढ़ा व टी.एस ठाकुर ने बार-बार सरकार व पब्लिक सेक्टर यूनिट से कहा था कि वह कोई ऐसा तरीका खोजे,जिससे कोर्ट में दायर होने वाले मामलों की संख्या कम की जा सकें क्योंकि राज्य सरकार व केंद्र सरकार इस समय सबसे ज्यादा केस दायर कर रही है या उनको पार्टी बनाकर सबसे ज्यादा केस दायर हो रहे है।
    जिसके बाद कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने पाया कि विभिन्न अदालतों में लंबित 46 प्रतिशत मामलों में सरकार पक्षकार है,यह पहली बार हुआ है जब कानून मंत्रालय ने इस तरह आकड़े चेक करवाए है।

    इसी तरह का एक पत्र कानून मंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी लिखा है। जिसमें कहा गया है कि उनके अधिकारी फर्जी मामलों पर ध्यान दें और उनको सही मामलों से अलग किया जाए। जिसके बाद फर्जी मामलों को तुरंत वापिस लिया जाए या उनको जल्दी से निपटवाया जाए। इस तरह के प्रयास किए जाए ताकि राज्य सरकार या सरकारी अधिकारियों के खिलाफ नए केस दायर न किए जाए। वहीं किसी भी मामलों को सुलझाने के लिए कोर्ट में केस दायर करना आखिरी विकल्प होना चाहिए।

    कानून मंत्री का अपने कैबिनेट सहयोगियों व राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा गया यह पत्र उस समय सामने आया है,जब केंद्र सरकार खुद वर्ष 2010 से नेशनल लिटिगेशन पाॅलिसी बनाने पर काम कर रही है।

    कई राज्य पहले ही सेलरेट लिटिगेशन पाॅलिसी को अपना चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अक्तूबर में कहा था कि सरकार की सबसे बड़ी मुकद्मेबाज या केस दायर करने वाली बन चुकी है। साथ ही कहा था कि न्यायपालिका का बोझ कम करने की जरूरत है क्योंकि न्यायपालिका अपना अधिक्तम समय सरकार के केसों पर देती है।

    Next Story