Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मामला संवैधानिक बेंच को भेजा जा सकता है, सुप्रीम कोर्ट ने दिया संकेत

LiveLaw News Network
7 April 2017 11:45 AM GMT
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मामला संवैधानिक बेंच को भेजा जा सकता है, सुप्रीम कोर्ट ने दिया संकेत
x

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह केरला के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेज सकती है। इसी के साथ कोर्ट ने मामले के कोर्ट मित्र सहित सभी पक्षकारों को निर्देश दिया है कि वह सवाल तैयार करें,जो इस मामले में निर्णय करने के लिए बड़ी पीठ के पास भेजे जा सकें।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है कि क्या इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेजा जाना चाहिए या नहीं।

खंडपीठ ने कहा कि मामले के सभी पक्षकार ऐसी लिखित दलीलें या सवाल दायर करें,जो संविधान के दायरे में आते हो,ताकि उनको बड़ी पीठ के पास सुनवाई के लिए भेजा जा सकें।

शीर्ष अदालत ने 11 जुलाई 2016 को इस संबंध में संकेत दिया था कि वह इस मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज सकते हैं। सबरीमाला मंदिर में दस से पचास वर्ष की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लग रहा है कि यह मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है।

केरल का यू-टर्न

पिछले साल सात नवम्बर को केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि वह चाहते हैं कि इस मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी जाए। इससे पूर्व राज्य सरकार के वकील ने जुलाई 2016 में दायर एक अतिरिक्त हलफनामे में इस प्रतिबंध को उचित बताया था। परंतु सात नवम्बर 2016 को राज्य सरकार ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि वह इस प्रतिबंध के खिलाफ है और वर्ष 2007 में दायर अपने जवाब पर टिके हैं।

शुरूआत में एल.डी.एफ सरकार ने वर्ष 2007 में कहा था कि वह इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में है,परंतु बाद में कांग्रेस के नेतृत्व में बनी यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने अपना पक्ष बदल दिया था।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि जब कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में राज्य सरकार का क्या पक्ष है तो राज्य सरकार के वकील ने कहा कि सरकार अपने वर्ष 2007 के मूल हलफनामे पर टिकी है,जिसमें इस प्रतिबंध को हटाने की बात की गई थी। खंडपीठ ने इस मामले में ट्रावनकोर देवास्वोम बोर्ड की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के.के वेणुगापोल की तरफ से दी गई दलीलें भी रिकार्ड की थी। यह बोर्ड इस मंदिर का रख-रखाव करता है। वेणुगोपाल ने कहा था कि इस तरह सरकार अपनी मर्जी से बार-बार अपना पक्ष नहीं बदल सकती है।

Next Story