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NGO काॅमन काज ने की पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) के जी बालाकृष्णनन के खिलाफ एसआईटी जांच की मांग

एनजीओ काॅमन काज ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर मांग की है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णनन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच एसआईटी से करवाई जानी चाहिए।
वकील प्रशांत भूषण ने इस मामले में काॅमन काज की तरफ से एक रिट याचिका वर्ष 2013 में दायर की थी,जिसमें मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह न्यायमूर्ति बालाकृष्णनन को एनएचआरसी के चेयरपर्सन के पद से हटा दे। इसके लिए उन्होंने प्रोटेक्शन आॅफ हूमन राईट एक्ट के सेक्शन 5(2) का हवाला देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ जांच करवाई जानी चाहिए। हालांकि न्यायमूर्ति बालाकृष्णनन की एनएचआरसी के चेयरपर्सन पद पर कार्यकाल 11 मई 2015 को समाप्त हो गई थी,इस कारण उनकी यह मांग निरस्त हो गई। इसलिए एनजीओ ने एक अर्जी दायर कर मांग की है कि उनकी नई मांग को पैटिशन में शामिल करने की अनुुमति दी जाए।
जिसमें मांग की गई है कि न्यायूमर्ति बालाकृष्णनन की आय से अधिक संपत्ति मामले में एसआईटी या सीबीआई से स्वतंत्र जांच करवाई जाए।
एनजीओ की तरफ से पेश वकील भूषण ने कहा कि न्यायमूर्ति बालाकृष्णनन के रिश्तेदारों के आयकर आकंलन में कई चैंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा व न्यायमूर्ति आर बानूमति ने इस मामले में सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया है।
भूषण ने दलील दी कि आयकर अधिकारियों के आकंलन में पाया गया है कि न्यायमूर्ति बालाकृष्णनन के रिश्तेदारों की आय उस आय से कहीं अधिक पाई गई है जो उन्होंने विभाग के समक्ष घोषित की है। ऐसे में साफ है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश के पास आय से अधिक संपत्ति है। आय संबंधी चार्ट पेश करते हुए भूषण ने कहा कि इस चार्ट को सरकार ने ही सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था क्योंकि कोर्ट ने पूर्व में सरकार को यह चार्ट पेश करने का निर्देश दिया था।