उड़ीसा हाइकोर्ट ने EVM तोड़फोड़ मामले में BJP विधायक प्रशांत जगदेव को जमानत दी

Amir Ahmad

12 Jun 2024 10:48 AM GMT

  • उड़ीसा हाइकोर्ट ने EVM तोड़फोड़ मामले में BJP विधायक प्रशांत जगदेव को जमानत दी

    उड़ीसा हाइकोर्ट ने बुधवार को खुर्दा निर्वाचन क्षेत्र से नवनिर्वाचित भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक प्रशांत जगदेव को जमानत दे दी, जिन्हें पिछले महीने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में तोड़फोड़ करने और मतदान अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

    विधायक को राहत देते हुए जस्टिस शशिकांत मिश्रा की अवकाश पीठ ने कहा,

    "एफआईआर पर गौर करने के बाद इस न्यायालय को लगता है कि आरोप कमोबेश सर्वव्यापी प्रकृति के हैं। याचिकाकर्ता ने वास्तव में क्या किया, यह निर्दिष्ट नहीं किया गया।"

    बोलगढ़ ब्लॉक के कुआंरीपटना के मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी, जहां जगदेव मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं, उन्होंने शिकायत दर्ज कराई कि विधायक ने EVM में तोड़फोड़ करने का प्रयास किया और मतदान अधिकारियों के साथ-साथ महिला मतदाता पर भी हमला किया, क्योंकि उन्हें अपना वोट डालने के लिए लंबे समय तक कतार में खड़ा होना पड़ा।

    शिकायत के बाद आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के साथ-साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

    पहले निचली अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार किया था, लेकिन बाद में शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए 3 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया।

    उनकी जमानत याचिका पर हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने सुनवाई की। विधायक की ओर से पेश हुए सीनियर वकील पीतांबर आचार्य ने जोरदार ढंग से तर्क दिया कि आरोप 'राजनीति से प्रेरित' हैं और झूठे हैं।

    एफआईआर और केस डायरी को देखने के बाद कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि जगदेव के खिलाफ कोई खास आरोप नहीं लगाया गया। सिर्फ यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने EVM में तोड़फोड़ की और बूथ में मौजूद कुछ लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया।

    जस्टिस मिश्रा ने जोर देकर कहा कि दुर्व्यवहार शब्द सामान्य प्रकृति का है और इसका बहुत व्यापक अर्थ है। इसलिए विशिष्ट तथ्यों के अभाव में विधायक को सर्वव्यापी आरोपों के आधार पर सलाखों के पीछे रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

    इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा कथित तौर पर धक्का दिए जाने वाली महिला मतदाता की पहचान भी नहीं बताई गई।

    इस प्रकार उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत देना उचित समझा। इसके अलावा इसने ट्रायल कोर्ट को जमानत देने के लिए उचित शर्तें रखने का निर्देश दिया।

    गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है, जब जगदेव कानूनी मुसीबत में फंसे हैं। 2022 में उन्हें पंचायत चुनावों के दौरान भीड़ पर वाहन चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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