कद के आधार पर भेदभाव करना भी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: राजस्थान हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
25 July 2024 12:18 PM IST
राजस्थान हाईकोर्ट ने रिपोर्टेबल जजमेंट में कहा कि कद के आधार पर भेदभाव करना भी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सेवा नियमों में अपेक्षित नहीं होने के बावजूद राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा एक महिला अभ्यर्थी को उसकी ऊंचाई 140 सेमी से एक सेमी कम होने पर भूविज्ञानी पद पर नियुक्ति से इनकार करने के आदेश को विभेदकारी मानते हुए दो महीने में याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं।
जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने रिपोर्टेबल जजमेंट में कहा कि भूविज्ञानी का पद पुलिस, रक्षा और अर्धसैनिक सेवाओं जैसे वर्दी वाले पद की श्रेणी में नहीं आता है, जहां शारीरिक बनावट के कठोर मानदंडों को लागू करने की आवश्यकता होती है। योग्यता सूची के अन्य सभी उम्मीदवारों को नियुक्ति प्रदान की गई।
याचिकाकर्ता को ऊंचाई के आधार पर नियुक्ति से वंचित किया गया है, जबकि वह सभी पहलुओं में योग्य और उपयुक्त थी। चूंकि खान और भूविज्ञान सेवा में कर्मियों की भर्ती के संबंध में बनाए गए वैधानिक नियमों में उम्मीदवारों के लिए कोई न्यूनतम ऊंचाई निर्धारित नहीं की गई है, इसलिए याचिकाकर्ता को नियुक्ति से वंचित करने का प्रतिवादियों का कार्य शारीरिक विशेषता के आधार पर भेदभाव है।
सेवाओं में एक आकांक्षी की ऊंचाई के आधार पर भेदभाव करना, जहां व्यक्ति की ऊंचाई का कोई असर नहीं होता है और किसी भी तरह से नौकरी में कार्मिक के प्रदर्शन को प्रभावित नहीं करता है, निश्चित रूप से भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। संवैधानिक न्यायालय होने के नाते, यह न्यायालय कार्यपालिका या किसी भी विभाग को केवल इस आधार पर उम्मीदवारों के बीच भेदभाव करने की अनुमति नहीं देगा, जब वे अन्यथा पात्र हों।
इन परिस्थितियों में, इस न्यायालय का दृढ़ मत है कि केवल इसलिए कि याचिकाकर्ता की ऊंचाई दिशा-निर्देशों में निर्धारित न्यूनतम ऊंचाई से एक सेमी कम है, उसे नियुक्ति पाने से वंचित नहीं किया जा सकता, जिसके लिए वह पूरी तरह से योग्य है। जब राजस्थान खान एवं भूगर्भीय सेवा नियम, 1960 में भूविज्ञानी पद के लिए कद के न्यूनतम मापदण्ड का उल्लेख नहीं है, तो वरीयताधारी अभ्यर्थी को अपेक्षित कद से महज एक सेमी कम होने के बहाने से नियुक्ति नहीं देना मनमानापूर्ण है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता के.डी. चारण और डी.एस. सोढ़ा ने नि:शुल्क पैरवी करते हुए कहा कि उसे न्यूनतम 140 सेमी कद से महज एक सेमी कम होना बताते हुए नियुक्ति से इनकार कर दिया था। जबकि महाराणा भूपाल अस्पताल, उदयपुर में उसने अपने स्तर पर शारीरिक परीक्षण करवाया तो उसमें लम्बाई 141 सेमी और सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर में करवाया तो उसमें 140.3 सेमी लम्बाई दर्शाई गई थी। ऐसे में आरपीएससी द्वारा गलत शारीरिक परीक्षण के आधार पर उसे नियुक्ति से वंचित किया जा रहा है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने दो महीने में याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं।
केस टाइटल - मोनिका कंवर राठौड़ बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य (S.B. Civil Writ Petition No. 12884/2019)
रजाक खान हैदर @ लाइव लॉ नेटवर्क