बरी होने या सजा पूरी होने के बावजूद कितने पाकिस्तानी नागरिक जेल में बंद: हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा
Amir Ahmad
12 March 2024 1:56 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पंजाब सरकार से पाकिस्तान के उन कैदियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा, जो बरी होने या अपनी सजा पूरी करने के बावजूद स्वदेश वापसी का इंतजार कर रहे हैं और जेलों में बंद हैं।
एक्टिंग चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस लपीता बनर्जी की खंडपीठ जुवेनाइल होम में बंद दो पाकिस्तानी जुवेनाइल के मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने जस्टिस एन.एस. शेखावत, फरीदकोट सेशन डिवीजन के प्रशासनिक न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा कि अप्रैल 2023 में बरी होने के बाद भी उन्हें हिरासत में रखा गया।
जुवेनाइल ने दावा किया कि स्वदेश वापसी का उनका मामला पंजाब के सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास निदेशालय के समक्ष लंबित है।
पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने आज कहा जुवेनाइल को वापस भेजने के लिए राज्य की ओर से सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं और यह केंद्र सरकार से मंजूरी के लिए लंबित है।
वकील ने कहा,
"जब भी केंद्र सरकार हमें आने के लिए कहेगी हम उन्हें स्वदेश वापसी के लिए भूमि सीमा पर ले जाएंगे।"
हालांकि, केंद्र सरकार ने इस मामले पर निर्देश लेने के लिए समय मांगा।
न्यायालय ने वकील नितिन मिट्टू द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदन पर भी नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि उन्होंने डेटा एकत्र किया, जिसके अनुसार 55 कैदी जो पाकिस्तानी नागरिक हैं, या तो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं, या अपने संबंधित मामलों से बरी हो गए हैं लेकिन अभी पंजाब के भी जेलों में हैं।
इससे पहले न्यायालय ने निर्देश दिया,
"प्रक्रिया को जल्द से जल्द तार्किक अंत तक पहुंचाने के लिए कदम उठाए जाएं।"
मामले की पृष्ठभूमि
2022 में दोनों पाकिस्तानी नागरिकों पर कथित तौर पर भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के लिए पंजाब के तरनतारन में पासपोर्ट अधिनियम 1920 की धारा 3 और विदेशी अधिनियम 1946 की धारा 14 के तहत मामला दर्ज किया गया और तब से वे जुवेनाइल अवलोकन गृह में कैद हैं।
इसने दोनों को बरी करते समय कहा,
हालांकि, जुवेनाइल बोर्ड ने फैसला सुनाया कि एक सीमा स्तंभ से दूसरे सीमा स्तंभ के बीच कोई बाड़ नहीं है। कोहरे के दिनों में गलती से भारत के क्षेत्र में प्रवेश करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि घटनास्थल पर वायरिंग या गेट न होने के कारण जुवेनाइल दो राष्ट्रों का क्षेत्र का अंतर नहीं समझ सके।
दोनों जुवेनाइल ने जस्टिस शेखावत को मुकदमे में बरी होने के बावजूद अवलोकन गृह में कैद होने की अपनी दुर्दशा के बारे में लिखा, क्योंकि उनके प्रत्यावर्तन का मामला लंबित है।
मामले को अब आगे विचार के लिए 18 मार्च तक के लिए टाल दिया गया।