[Senior Citizens Act की धारा 23(2)] मजिस्ट्रेट कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सीनियर सिटीजन की संपत्ति से कब्जेदार को बेदखल कर सकते हैं: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

Amir Ahmad

20 Feb 2024 5:39 PM IST

  • [Senior Citizens Act की धारा 23(2)] मजिस्ट्रेट कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सीनियर सिटीजन की संपत्ति से कब्जेदार को बेदखल कर सकते हैं: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने स्पष्ट किया कि माता-पिता और सीनियर सिटीजन के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) के तहत ट्रिब्यूनल/मजिस्ट्रेट सीनियर सिटीजन की संपत्ति के हस्तांतरणकर्ता के खिलाफ भरण-पोषण प्राप्त करने के अधिकार के प्रवर्तन के दौरान यदि सीनियर सिटीजन की भलाई सुनिश्चित करना आवश्यक हो तो स्थानांतरित व्यक्ति को बेदखल कर सकता है।

    जस्टिस दीपक सिब्बल और जस्टिस दीपक मनचंदा की खंडपीठ ने कहा,

    "एक्ट की धारा 23(2) ऐसी स्थिति को कवर करती है, जहां सीनियर सिटीजन को संपत्ति से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है। यदि इसमें कोई अधिकार या संपत्ति हित है, या उसका कोई हिस्सा हस्तांतरित किया जाता है तो सीनियर सिटीजन को अंतरिती के खिलाफ भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार होगा। यदि अंतरणकर्ता ऐसे अधिकार को कम कर देता है तो सीनियर सिटीजन ट्रिब्यूनल के माध्यम से अंतरिती के खिलाफ भरण-पोषण प्राप्त करने का अपना अधिकार प्राप्त कर सकता है। ऐसे अधिकार का प्रवर्तन यदि सीनियर सिटीजन की भलाई सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है तो ट्रिब्यूनल के पास सीनियर सिटीजन की संपत्ति या उसके हिस्से से स्थानांतरित व्यक्ति को बेदखल करने का आदेश देने की शक्ति होगी। ट्रिब्यूनल द्वारा ऐसी शक्ति का प्रयोग यह सुनिश्चित करने के लिए होगा कि सीनियर सिटीजन का भरण-पोषण और/या सुरक्षा मिल सके।”

    टिप्पणियां एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते समय की गईं, जिसमें यह कहा गया कि सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत सीनियर सिटीजन द्वारा दायर आवेदन पर यदि मजिस्ट्रेट को लगता है कि सीनियर सिटीजन को उसकी संपत्ति के कब्जे वाले द्वारा ठीक से रखरखाव नहीं किया जा रहा है तो मजिस्ट्रेट कब्जेदार को बेदखल करने का आदेश दे सकता है।

    मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन सेवानिवृत्त भारतीय वायुसेना अधिकारी 72 वर्षीय पिता ने अपने बेटे और बहू के खिलाफ दायर किया और उन्हें अपनी संपत्ति से बेदखल करने की मांग की। यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने उसका जीवन दयनीय बना दिया। कई मौकों पर उन्होंने उसके साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और उन्हें अपशब्द कहे।

    यह भी कहा गया कि अपीलकर्ता उसे यह कहकर धमकाते हैं कि वे उसे उसके ही घर से बाहर निकाल देंगे।

    प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एक्ट की धारा 23(2) के तहत ट्रिब्यूनल के समक्ष दायर आवेदन में तथ्यात्मक पहलुओं पर सवाल नहीं उठाया गया।

    इसमें कहा गया कि अपीलकर्ताओं की ओर से उठाया गया एकमात्र मुद्दा यह था कि एक्ट की धारा 23 (2) के तहत सीनियर सिटीजन द्वारा दायर आवेदन पर विचार करते समय मजिस्ट्रेट (ट्रिब्यूनल) के पास अपीलकर्ताओं को बेदखल करने का आदेश देने की कोई शक्ति नहीं है।

    एक्ट की धारा 23(1) का अवलोकन करते हुए न्यायालय ने पाया कि यदि सीनियर सिटीजन ने एक्ट के प्रारंभ होने के बाद अपनी संपत्ति को बुनियादी सुविधाओं और अपनी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के बदले में स्थानांतरित व्यक्ति द्वारा हस्तांतरित कर दिया, जो विफल रहा। ऐसी शर्तों को पूरा करने के लिए तो ऐसा स्थानांतरण गैरकानूनी तरीके से किया गया माना जाएगा और रद्द करने के लिए उत्तरदायी होगा।

    यह माना गया कि एक्ट धारा 23(2) उस स्थिति को कवर करती है, जहां सीनियर सिटीजन को संपत्ति से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है। खंडपीठ ने कहा कि यदि उस संपत्ति या उसके हिस्से में कोई अधिकार या हित हस्तांतरित किया जाता है तो सीनियर सिटीजन को स्थानांतरित व्यक्ति के खिलाफ भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार होगा।

    यदि स्थानांतरित व्यक्ति ऐसे अधिकार में कटौती करता है तो सीनियर सिटीजन ट्रिब्यूनल के माध्यम से स्थानांतरित व्यक्ति के खिलाफ भरण-पोषण प्राप्त करने का अपना अधिकार प्राप्त कर सकता है। ऐसे अधिकार के प्रवर्तन के दौरान यदि सीनियर सिटीजन की भलाई सुनिश्चित करना आवश्यक है तो ट्रिब्यूनल के पास सीनियर सिटीजन की संपत्ति या उसके हिस्से से स्थानांतरित व्यक्ति को बेदखल करने का आदेश देने की शक्ति होगी।

    कोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल द्वारा ऐसी शक्ति का प्रयोग सीनियर सिटीजन के भरण-पोषण या सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा।

    उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने एकल न्यायाधीश का फैसला बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी।

    अपीयरेंस

    अपीलकर्ताओं के वकील-अर्पणदीप नरूला,

    साइटेशन- लाइव लॉ (पीएच) 53 2024

    केस टाइटल- नरेश कुमार और अन्य बनाम अपीलीय न्यायाधिकरण, माता-पिता और सीनियर सिटीजन का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 और अन्य

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