मकान या जमीन खरीदते समय कौन सी कानूनी बातों की जांच करें

Shadab Salim

30 Dec 2021 6:02 AM GMT

  • मकान या जमीन खरीदते समय कौन सी कानूनी बातों की जांच करें

    संपत्ति खरीदना आज के समय में हर व्यक्ति का सपना है। संपत्ति अत्यधिक महंगी होती है जिसे खरीदने में किसी व्यक्ति द्वारा अपने समस्त जीवन की आय लगा दी जाती है। ऐसी संपत्ति को खरीदते समय उससे जुड़ी हुई कानूनी जानकारियों की भलीभांति जांच कर लेना चाहिए। कौन सी बातों को जानना चाहिए इसकी जानकारी होना सभी के लिए जरूरी हो जाता है।

    कौन सी बातों की जांच करें

    संपत्ति दो प्रकार की हो सकती है। पहली वह संपत्ति जो किसी व्यक्ति द्वारा उपभोग की जा रही है और उसके उपभोग की जाने में एक लंबी यात्रा है। एक लंबे समय से वह संपत्ति को उपयोग किया जाता रहा है। दूसरी वह संपत्ति होती है जो किसी बिल्डर या डेवलेपर द्वारा डेवलप की जाती है। इस संपत्ति को बिल्डर डेवलप करते हैं। फिर लोगों में प्लॉट या फ्लैट के माध्यम से उन्हें बेचा जाता है।

    उपभोग की जा रही संपत्ति के संबंध में क्या जांच करें

    पहली संपत्ति वह है जिसे पहले से उपयोग किया जाता है और उसके पहले से भी उसे उपभोग किया जाता है। उस संपत्ति को किसी व्यक्ति द्वारा खरीदा जाता है। ऐसी संपत्ति को पट्टाशुदा संपत्ति कहते हैं। इस संपत्ति को खरीदते समय बेहद सावधानी रखी जाती है। ऐसी संपत्ति को खरीदते समय सबसे पहले यह देखा जाना चाहिए कि उस संपत्ति को बेच कौन व्यक्ति रहा है। वह जो व्यक्ति उस संपत्ति को बेच रहा है उसे वह संपत्ति किस मार्फत मिली है। उसे वह संपत्ति कैसे मिली है, इस बात की जांच होनी चाहिए।

    किसी भी व्यक्ति को संपत्ति विक्रय के माध्यम से दान के माध्यम से वसीयत के माध्यम से या पैतृक संपत्ति के जरिए मिलती है। खरीदार को यहां पर जांच करनी चाहिए कि जो व्यक्ति अपनी संपत्ति बेच रहा है उसे संपत्ति किस प्रकार से मिली है और क्या उसे बेचने का अधिकार है।

    संपत्ति के नामांतरण की जांच

    ऐसी पट्टाशुदा संपत्ति को खरीदते समय सबसे पहले उसके नामांतरण की जांच की जाना चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि नगर निगम और ग्राम पंचायत के खातों में उस संपत्ति को किस नाम से रजिस्टर्ड किया गया है। यह देखा जाना चाहिए कि नगर निगम के संपत्ति कर के खाते में उस संपत्ति को किस नाम से रजिस्टर्ड किया गया है और किस व्यक्ति के नाम से उस संपत्ति का संपत्ति कर जलकर भरा जा रहा है।

    ऐसा ही रिकॉर्ड ग्राम पंचायत और नगरपालिका के रजिस्टर में भी उपलब्ध होता है। किसी भी संपत्ति का नामांतरण इसलिए आवश्यक होता है क्योंकि एक सरकारी रिकॉर्ड होता है जो व्यक्ति संपत्ति का स्वामी होता है अधिकांश मामले में तो नामांतरण उसी व्यक्ति के नाम होता है परंतु अनेक मामले ऐसे होते हैं कि संपत्ति का स्वामी कोई और होता है और संपत्ति का नामांतरण किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर होता है। जहां भी ऐसा मामला दिखाई दे वहां उस संपत्ति को नहीं खरीदा जाना चाहिए।

    संपत्ति के स्वामित्व के सभी दस्तावेजों की चेन देखना चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि संपत्ति किस किस व्यक्ति के पास किस किस प्रकार से आई है और उससे संबंधित दस्तावेज कौन-कौन से थे। जो भी व्यक्ति संपत्ति का अंतिम स्वामी होता है उस व्यक्ति के पास सभी व्यक्तियों को मिले हुए स्वामित्व के दस्तावेज की मूल और ओरिजिनल प्रतियां होती है। यह प्रतियां अंतिम स्वामी के द्वारा रखी जाती है।

    संपत्ति पर कर्ज/लोन की जांच

    किसी भी पट्टाशुदा संपत्ति को खरीदते समय उस पर कर्ज की जांच की जानी चाहिए। एक जाहिर सूचना के माध्यम से यह मालूम किया जाना चाहिए कि उस संपत्ति पर किसी बैंक या किसी पूंजीपति का कोई कारण तो नहीं है। उस संपत्ति को किसी बैंक के समक्ष गिरवी रख कर कोई धन उधार तो नहीं लिया है।

    कभी-कभी यह भी होता है कि संपत्ति के ओरिजिनल दस्तावेज किसी बैंक के पास गिरवी रख दिए जाते हैं और बैंक से कर्ज प्राप्त कर लिया जाता है, जब तक किसी भी संपत्ति पर कर्ज है तथा उसका कर्ज चुकता नहीं किया गया है तब तक उस संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता और तब तक उस संपत्ति को खरीदा भी नहीं जा सकता।

    यदि व्यक्ति ने संपत्ति को खरीदा है तो उसके पास में सेल्स डीड होना चाहिए, यदि व्यक्ति को संपत्ति वसीयत से मिली है तो उस व्यक्ति के पास उत्तराधिकार सर्टिफिकेट होना चाहिए जिससे यह साबित होगी वह व्यक्ति वही है जिसे वसीयत की गई है और उस व्यक्ति के पास में वह रजिस्टर्ड वसीयत होना चाहिए जो उसके नाम पर लिखी गई है तब ही ऐसे व्यक्ति से संपत्ति को खरीदा जा सकता है।

    अगर कोई व्यक्ति यह दावा करता है कि उसे आमुख संपत्ति वसीयत के मार्फत मिली है तब उस व्यक्ति की वसीयत की जांच की जानी चाहिए। ऐसी वसीयत रजिस्टर्ड होना चाहिए कोई भी नोटरी पर की गई वसीयत को मान्यता प्राप्त नहीं है।

    ऐसी वसीयत रजिस्टर्ड होना चाहिए जिससे सब रजिस्ट्रार कार्यालय में सब रजिस्ट्रार ऑफिसर के सामने हस्ताक्षरित होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति है दावा करता है कि उसे भी संपत्ति पैतृक रूप से मिली है और उसके बुजुर्गों की वह संपत्ति है तब उस व्यक्ति को अपना पैतृक सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना होता है तथा उस व्यक्ति जिसके नाम पर वह संपत्ति रजिस्टर्ड है उस व्यक्ति से अपना नाता साबित करना होता है तभी उसके हिस्से को संपत्ति में खरीदा जा सकता है।

    वह भी तब खरीदा जा सकता है जब उसे वह हिस्सा विधि पूर्वक बंटवारे के रूप में मिल गया हो। यदि उस संपत्ति का बंटवारा नहीं हुआ है तब उस व्यक्ति से उसका हिस्सा नहीं खरीदा जा सकता।

    यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को दान या गिफ्ट में मिलने का दावा करता है तब ऐसे व्यक्ति के पास में दान पत्र होना चाहिए जिसे उर्दू भाषा में हिबानामा भी कहा जाता है। मुस्लिम समाज के अंदर विवाह के समय मुस्लिम महिलाओं को मैहर के रूप में हिबानामा लिख दिया जाता था।

    जहां पुरुष मेहर की राशि के बदले कोई मकान या खेत मुस्लिम महिला के नाम दान कर देता था यह हिबानामा होता है। यदि किसी महिला के पास ऐसा हिबानामा उपलब्ध है तब यह माना जाएगा कि उसे वह संपत्ति दान के रुप में मिली है। दान की संविदा में किसी प्रकार का प्रतिफल नहीं होता है।

    बिल्डर से संपत्ति खरीदते समय कौन सी बातों की जांच करें

    वर्तमान समय में मकान बनाना अत्यंत दूभर है। लोगों के पास समय नहीं रहता है काम धंधे नौकरियां में उलझे होते हैं ऐसी स्थिति में स्वयं द्वारा मकान बनाया जाना अत्यंत कठिन और दुख दायक होता है। आजकल बाजार में बिल्डर द्वारा बनाकर बेचे गए मकानों का चलन चल रहा है।

    ऐसे मामलों में किसी व्यक्ति द्वारा बिल्डर से मकान खरीदा जाता है या फिर बिल्डर द्वारा बनाई गई कॉलोनी में कोई प्लाट खरीदा जाता है। इस प्रकार की खरीद-फरोख्त के लिए भारत भर के अंदर रेरा का कानून अधिनियमित है। यह रेरा का कानून बिल्डरों को नियंत्रित करता है और जनता के साथ होने वाली किसी भी ठगी को प्रतिषेध करता है।

    जब किसी भी भूमि पर कोई कॉलोनी विकसित की जाती है तो वह कॉलोनी दो प्रकार से विकसित की जाती है। पहली स्थिति तो यह होती है कि बिल्डर किसी व्यक्ति से स्वयं संपत्ति को खरीद लेता है। वह संपत्ति का नामांतरण अपने नाम करवा लेता है।

    दूसरी स्थिति यह होती है कि बिल्डर संपत्ति के स्वामी के साथ संविदा कर लेता है कि उस संपत्ति पर एक कॉलनी विकसित करेगा और उसके बाद उस पर प्लाट बेचेगा तब ऐसी स्थिति में उन प्लाटों को वही व्यक्ति बेच सकता है जिसके नाम पर वह संपत्ति का नामांतरण हुआ हुआ है। अर्थात बिल्डर द्वारा प्लाट को नहीं बेचा जा सकता। प्लाट तो भूमि के मालिक द्वारा ही बेचे जाएंगे।

    यहां पर ध्यान देने योग्य है कि लोग आमतौर से समझते हैं कि बिल्डर से प्लाट खरीद रहे परंतु यह ठीक बात नहीं है। प्लॉट तो भूमि के मालिक से खरीदा जा रहा है जिसके पास में उस प्लॉट का उस भूमि का स्वामित्व है और वही उस भूमि पर प्लॉट को बेचने का अधिकार रखता है। बिल्डर से मकान खरीदते समय सबसे पहले उस कॉलोनी के डायवर्सन और नगर निगम के कानूनों की जांच करनी चाहिए।

    क्षेत्र में लगने वाली नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद और ग्राम पंचायत जो भी वहां पर लागू होती है उसके द्वारा कॉलोनी काटने के लिए योग्य मान्यताएं दी गई है या नहीं और उसी के साथ जिस जमीन के ऊपर कॉलोनी काटी जा रही है क्या उस जमीन का डायवर्सन किया गया है या नहीं।

    यह ध्यान देना चाहिए कि कोई भी जमीन जब तक के कृषि भूमि हो तब तक के उसे प्लाट के रूप में नहीं खरीदा जाना चाहिए क्योंकि किसी भी कृषि भूमि को प्लॉट के रूप में नहीं खरीदा जा सकता। यदि कोई बिल्डर आपको प्लॉट के रूप में कोई बगैर डायवर्शन की गई कृषि भूमि को बेच रहा है मतलब आपके साथ धोखाधड़ी की जा रही है।

    नगर निगम की मान्यताओं को जांचने के बाद ही किसी बिल्डर से कोई फ्लैट या फिर प्लॉट खरीदना चाहिए तथा जिस भूमि के ऊपर वो प्लाट या बिल्डिंग को बेचा जा रहा है उस भूमि के स्वामित्व को तलाशना चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि वह भूमि किस व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड है। जिस व्यक्ति के नाम पर वह भूमि रजिस्टर्ड है उसी व्यक्ति से सेल्स डीड पर हस्ताक्षर करवाई जानी चाहिए।

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