अपनी या अन्य व्यक्ति की वैध गिरफ्तारी में बाधा डालने पर सज़ा: भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 262 और 263

Himanshu Mishra

26 Oct 2024 5:19 PM IST

  • अपनी या अन्य व्यक्ति की वैध गिरफ्तारी में बाधा डालने पर सज़ा: भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 262 और 263

    भारतीय न्याय संहिता 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है, पुराने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित करती है। इस संहिता की धाराओं 262 और 263 में यह निर्धारित किया गया है कि वैध (Lawful) गिरफ्तारी में रुकावट पैदा करने या गिरफ्तारी को रोकने के प्रयास करने पर क्या परिणाम हो सकते हैं।

    ये प्रावधान उन स्थितियों को समझाते हैं जब एक व्यक्ति अपनी ही या किसी अन्य व्यक्ति की गिरफ्तारी रोकने का प्रयास करता है। आइए, इन दोनों धाराओं को उदाहरणों के साथ सरल भाषा में समझें।

    धारा 262: अपनी वैध गिरफ्तारी (Lawful Arrest) में बाधा डालने पर सज़ा

    धारा 262 का विवरण

    धारा 262 उस स्थिति को लेकर है जब एक व्यक्ति अपनी ही वैध गिरफ्तारी या हिरासत से निकलने का प्रयास करता है। यदि किसी को किसी अपराध में आरोपी या दोषी ठहराया गया है और वह अपनी गिरफ्तारी रोकने का प्रयास करता है, तो उस पर अतिरिक्त सज़ा का प्रावधान किया गया है।

    यह सज़ा उस अपराध के लिए होने वाली सज़ा से अलग होगी, जिसके लिए उसे पहले ही आरोपी या दोषी ठहराया गया है।

    उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति पर चोरी का दोष है और पुलिस उसकी गिरफ्तारी का प्रयास करती है, लेकिन वह पुलिस से भागने का प्रयास करता है, तो उसे चोरी के अपराध के अलावा धारा 262 के तहत अतिरिक्त सज़ा मिलेगी। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि लोग न्यायिक (Judicial) प्रक्रिया का सम्मान करें।

    धारा 262 के तहत सज़ा

    धारा 262 के अनुसार, जो व्यक्ति अपनी वैध गिरफ्तारी में बाधा डालता है या हिरासत से भागने का प्रयास करता है, उसे दो साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

    धारा 262 का उदाहरण

    मान लें कि राहुल धोखाधड़ी (Fraud) के अपराध में दोषी पाया गया है और उसे छह महीने की सज़ा सुनाई गई है। न्यायालय से जेल ले जाते समय यदि राहुल भागने का प्रयास करता है, तो उसे धोखाधड़ी की सज़ा के अलावा धारा 262 के तहत अतिरिक्त सज़ा मिलेगी।

    धारा 263: किसी अन्य व्यक्ति की वैध गिरफ्तारी (Lawful Arrest) में रुकावट डालना

    धारा 263 का विवरण

    धारा 263 उस स्थिति से संबंधित है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य की वैध गिरफ्तारी या हिरासत में बाधा डालने का प्रयास करता है। इस स्थिति में, यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य को पुलिस के हाथ से छुड़ाने की कोशिश की, तो उसे इस धारा के अंतर्गत सज़ा का प्रावधान है।

    इसमें अपराध की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग सज़ा निर्धारित की गई है, ताकि अगर गंभीर अपराधों के मामले में रुकावट डाली जाए तो सज़ा भी अधिक हो।

    धारा 263 के तहत सज़ाएं

    1. जीवन कारावास (Life Imprisonment) या 10 साल तक की सज़ा के मामले में: यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी में बाधा डालता है जो उम्रकैद या दस साल तक की सज़ा के मामले में है, तो बाधा डालने वाले को तीन साल तक की सज़ा और जुर्माना हो सकता है।

    2. मृत्युदंड (Death Penalty) के मामले में: यदि जिस व्यक्ति की गिरफ्तारी में बाधा डाली जा रही है, उसे मृत्युदंड मिल सकता है, तो बाधा डालने वाले को सात साल तक की सज़ा और जुर्माना हो सकता है।

    3. अदालत द्वारा निर्धारित 10 साल या अधिक की सज़ा के मामले में: अगर अदालत ने किसी व्यक्ति को 10 साल या अधिक की सज़ा सुनाई है और किसी अन्य ने उसकी गिरफ्तारी में रुकावट डाली, तो उसे सात साल तक की सज़ा और जुर्माना हो सकता है।

    4. मृत्युदंड की सज़ा पाए व्यक्ति के मामले में: यदि कोई व्यक्ति ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी रोकने का प्रयास करता है जो मृत्युदंड की सज़ा पर है, तो बाधा डालने वाले को उम्रकैद या 10 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।

    धारा 263 के उदाहरण

    • जीवन कारावास के मामले में: मान लें कि रमेश अपने दोस्त को पुलिस से छुड़ाने का प्रयास करता है जबकि उसका दोस्त ऐसे अपराध का आरोपी है जिसमें दस साल की सज़ा हो सकती है। रमेश को धारा 263 के तहत तीन साल की सज़ा और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

    • मृत्युदंड के मामले में: अगर रमेश किसी ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी में रुकावट डालता है जो मृत्युदंड का सामना कर रहा है, तो रमेश को सात साल तक की सज़ा और जुर्माना हो सकता है।

    धारा 262 और 263 में अंतर

    धारा 262 और धारा 263 की विषयवस्तु भले ही मिलती-जुलती है, लेकिन इनके प्रावधान अलग-अलग स्थितियों में लागू होते हैं। धारा 262 किसी व्यक्ति की अपनी गिरफ्तारी में बाधा डालने के संबंध में है, जबकि धारा 263 किसी अन्य व्यक्ति की गिरफ्तारी में बाधा डालने के संबंध में है।

    सज़ा में भी अंतर है। धारा 262 के तहत सज़ा सभी अपराधों के लिए एक समान है, जबकि धारा 263 में अपराध की गंभीरता के आधार पर सज़ा का निर्धारण किया गया है।

    भारतीय न्याय संहिता 2023 की धाराएं 262 और 263 कानून प्रवर्तन में वैध गिरफ्तारियों को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये धाराएं यह सुनिश्चित करती हैं कि लोग अपने या किसी और के गिरफ्तारी प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए उचित दंड का सामना करें। इन प्रावधानों के जरिए न्यायिक प्रणाली (Judicial System) को मजबूत किया गया है, ताकि पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन अधिकारी बिना किसी बाधा के अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकें।

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