सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 51: आदेश 9 नियम 7 के प्रावधान

Shadab Salim

25 Dec 2023 3:13 AM GMT

  • सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 51: आदेश 9 नियम 7 के प्रावधान

    सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 9 पक्षकारों के अदालत में उपस्थित होने एवं नहीं होने के संबंध में प्रावधान निश्चित करता है। आदेश 9 का नियम 7 प्रतिवादी के अनुपस्थित रहने बाद उपस्थित होकर अनुपस्थिति के हेतुक बताने के संबंध में है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 7 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।

    नियम-7 जहाँ प्रतिवादी स्थगित सुनवाई के दिन उपसंजात होता है और पूर्व अनुपसंजाति के लिए अच्छा हेतुक दिखाता है वहाँ प्रक्रिया-जहाँ न्यायालय ने एकपक्षीय रूप में वाद की सुनवाई स्थगित कर दी है और प्रतिवादी ऐसी सुनवाई के दिन या पहले उपसंजात होता है और अपनी पूर्व अनुपसंजाति के लिए अच्छा हेतुक दिखाता है वहाँ ऐसे निबन्धनों पर, जो न्यायालय खर्चों और अन्य बातों के बारे में निदिष्ट करे, उसे वाद के उत्तर में उस भाँति सुना जा सकेगा मानो वह अपनी उपसंजाति के लिए नियत किए गए दिन को उपसंजात हुआ था।

    नियम-7 एकपक्षीय आदेश के विरुद्ध उपचार प्रदान करता है। यह व्यथित प्रतिवादी को राहत देने वाला उपबंध है। यह समर्थनकारी उपबंध है, जो प्रतिवादी को उस एकपक्षीय कार्यवाही के आदेश को अपास्त कराने के लिए समर्थ बनाता है।

    नियम 7 में जहाँ प्रतिवादी स्थगित सुनवाई के दिन उपस्थित होकर अपनी पिछली अनुपस्थिति के लिए कोई अच्छा हेतुक बताता है, तो वहाँ निम्न प्रकार से कार्यवाही की जाती है-

    1. न्यायालय ने जहाँ एकपक्षीय रूप में वाद को सुनवाई स्थगित कर आगे की तारीख निश्चित कर दी है,

    2. ऐसी सुनवाई के दिन (अगली तारीख पेशी) के दिन या उससे पहले-

    (क) प्रतिवादी न्यायालय के समक्ष उपस्थित हो जाता है, और

    (ख) अपनी पूर्व उपसंजाति (पिछली सुनवाई के दिन अनुपस्थिति) के लिए अच्छा हेतुक दिखाता है, तो-

    (1) न्यायालय शास्ति और अन्य बातों के बारे में निबन्धन लगाकर उसे अनुमति देगा और

    (2) उस प्रतिवादी को वाद के उत्तर में उसी तरह सुना जा सकेगा, मानो वह पिछली सुनवाई के नियत दिन पर उपस्थित हो गया था।

    ऐसा आवेदन अन्तिम् बहस के पूर्व तक दिया जा सकता है लेकिन अन्तिम सुनवाई हो जाने व प्रकरण को निर्णय हेतु रखा जाने पर इस प्रावधान के तहत आवेदन पोषणीय नहीं है।

    नियम 13 से अन्तर- आदेश 9, नियम 7 में उस प्रतिवादी को, जिसके विरुद्ध (1) एकपक्षीय कार्यवाही का आदेश दे दिया गया है और (1) जहाँ वाद एकपक्षीय सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया गया है, इस बात के लिए समर्थ बनाया है कि वह ऐसी सुनवाई के समय या इससे पहले न्यायालय में उपस्थित होकर पिछली तारीख पर अपनी अनुपस्थिति के लिए अच्छा हेतुक दर्शित करे।

    ऐसी स्थिति में न्यायालय उसे कार्यवाही में भाग लेने की इजाजत दे सकता है, जिसका विवक्षित (अप्रकट) रूप से यह अर्थ होगा कि-एकपक्षीय आदेश अपास्त कर दिया गया है।

    एक ऐसे मामले में प्रतिवादों ऐसे आदेश को अपास्त कराना चाहता है, जिसमें उसके विरुद्ध एकपक्षीय कार्यवाही का आदेश दे दिया गया था और अब वह यह चाहता है कि उसे वाद के उस प्रक्रम पर फिर से पहुंचा दिया जाए, जहाँ कि यह गैरहाजिर था, तो उसे पिछली तारीख पर अपनी अनुपस्थिति का अच्छा हेतुक दर्शाना होता है। किन्तु यदि वह उस प्रक्रम पर जिस पर वह हाजिर होता है, केवल कार्यवाही में भाग लेना चाहता है, तो यह आवश्यक नहीं है कि वह उस एकपक्षीय कार्यवाही के आदेश को अपास्त करवाए।

    प्रतिवादी के उपसंजात हो जाने के पश्चात् अनुपसंजात हो जाने की दशा में न्यायालय प्रतिरक्षा हेतु उस पक्ष द्वारा रखे गये तथ्यों पर गौर कर निर्णय पारित कर सकता है।

    नियम 7 तथा नियम 13 में अन्तर - आदेश 9, नियम 7 के अधीन उपबन्धित अन्तर्वती कार्यवाही इस प्रकार की नहीं है कि-जो पूर्वन्याय के रूप में लागू हो और उससे नियम 13 के अधीन किसी आवेदन को मेरिट के आधार पर सुनवाई वर्जित हो जाए। पश्चात्वर्ती उपबंध (नियम 13) तो केवल एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करने के लिए एक विनिर्दिष्ट कानूनी उपचार है।

    अच्छा हेतुक का अर्थ-इस नियम में शब्द अच्छा हेतुक का प्रयोग किया गया है, जब कि इस आदेश के नियम 4,5 (1) (ग), 9 और 13 में शब्द पर्याप्त हेतुक (Sufficient cause) का प्रयोग किया है। अत: इनमें कुछ अन्तर है। पर्याप्त हेतुक (कारण) के लिए उस कारण की पर्याप्तता कुछ ऊँचे स्तर की होती है, जब कि साधारण तथा चलने योग्य कारण को अच्छा हेतुक मान लिया जावेगा। अच्छा हेतुक के लिए कारण को उदारता से स्वीकार करना होगा।

    नियम 4,5 (1) (ग), 9 तथा 13 में प्रयुक्त "पर्याप्त हेतुक" के जो उदाहरण यहां दिए गए हैं, वे "अच्छे हेतुक" के लिए उदारतापूर्वक अपनाये जा सकते है।

    सशर्त आदेश- इस नियम में शब्दावली "ऐसे निबन्धनों पर, जो न्यायालय खर्चों और अन्य बातों के बारे में निर्दिष्ट करे का प्रयोग किया है। अतः यह न्यायालय के निदेश पर निर्भर है कि वह उस मामले की परिस्थितियों को देखकर खर्च या अन्य बातों के बारे में शर्ते लगावें। ऐसी शर्तें लगाना विवेकाधीन है, आवश्यक नहीं है।

    इस नियम के अधीन आवेदन को न्यायालय स्वीकार कर लेता है, तब वही समान स्थिति स्थापित हो जाती है, जो ऐसे आदेश के ठीक पहले थी। इस प्रकार प्रतिवादी को वाद का उत्तर देने का पूरा अवसर मिल सकेगा।

    नियम 7 का लागू होना - आदेश 9 नियम 7 तभी लागू होता है, जब न्यायालय ने वाद की सुनवाई को स्थगित कर दिया हो। यदि मामला निर्णय के लिए सुरक्षित किया गया है, तो यह नहीं कहा जा सकता कि वह सुनवाई के लिए स्थगित किया गया है। अत: निर्णय के लिए सुरक्षित करने के बाद आदेश 9 नियम 7 बिल्कुल लागू नहीं होगा। सुनवाई का अर्थ एक प्रभावपूर्ण सुनवाई से है, जिसमें न्यायालय पक्षकारों को सुनने और निर्णय की तारीख तय करने के बाद आदेश 9 नियम 7 के उपबंधों का जागृत करने की अधिकारिता नहीं है।

    नियम 7 उस समय लागू नहीं होता, जब सम्पूर्ण सुनवाई पूरी करने के बाद मामले को केवल निर्णय सुनाने के लिए स्थगित किया गया हो। आदेश 9 नियम 7 के प्रारम्भिक शब्द जहाँ न्यायालय ने एकपक्षीय रूप में वाद को सुनवाई स्थगित कर दी है का प्रयोग किया गया है, जहाँ यह स्पष्ट होता है कि वहाँ कोई सुनवाई को दिनांक है, जिसके लिये वाद को स्थगित किया गया है। यदि वाद की सम्पूर्ण सुनवाई पूरी कर हो गई है, तो न्यायालय वहाँ उसी समय निर्णय घोषित करने के लिए सक्षम होते हुए आदेश 20, नियम 1 के अधीन निर्णय सुनाने के लिए वाद को स्थगित करता है, तो वहाँ स्पष्ट रूप से सुनवाई' के लिए स्थगन नहीं है और उस वाद में आगे कुछ भी सुनना नहीं है।

    ऐसे मामले में आदेश 9 नियन 7 लागू नहीं हो सकता और मामला आदेश 9 नियन 6 के प्रक्रम पर आ जायेगा और एकपक्षीय डिक्री पारित करनी होगी, तो आदेश 9 के केवल नियम 13 को लागू करेगी। इच्छापत्र (विल) कर्ता को पुत्रों ने रजिस्टर्ड विल के आधार पर वाद सस्थित किया। प्रतिवादिनी विलकर्ता की बहिन होने का कथन करती है, जो विवादग्रस्त भूमि पर कब्जे में है और एक अरजिस्टर्ड अन्तिम विल के आधार पर उस सम्पति का दावा करती है। प्रतिवादी को एकपक्षीय कर दिया गया। इस एक पक्षीय आदेश को इस शर्त पर अपास्त किया गया कि प्रतिवादिनी प्रतिकर की विनिर्दिष्ट रकम जमा करावे।

    एक मामले में एकपक्षीय आदेश दे दिया गया, जिसे निरस्त करने के लिए अगली सुनवाई के दिन आवेदन प्रस्तुत किया गया। अभिनिर्धारित कि इस आवेदन को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि यह तीस दिनों के भीतर फाइल नहीं किया गया। ऐसे आवेदन के लिए कोई परिसीमा को अवधि निर्धारित (विहित) नहीं की गई है।

    एक अन्य प्रकरण में वकील ने आदेश 9 नियम 7 के अधीन आवेदन के साथ अपना एक शपथपत्र प्रस्तुत किया कि वह अपने एक निजी कार्य में व्यस्त था कि वह समय पर न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सका। जब वह 10.15 बजे प्रातः न्यायालय में आया, तो पता चला कि इस मामले में एकपक्षीय सुनवाई का आदेश दिया गया है। अभिनिर्धारित किया वकील की अनुपस्थिति के लिए यह एक अच्छा कारण था। किसी मामले में बहस सुनने के बाद निर्णय हेतु अगली तारीख तय की।

    एक वाद में न्यायाधीश के बदलने की वजह से मामले में निर्णय नहीं सुनाया जा सका, क्योकि नये पीठासीन अधिकारी ने मामले की बहस नहीं सुनी थी। मामले को पुनः अन्तिम बहस सुनने हेतु रखा गया। वकील बीमार होने की वजह से अनुपस्थित रहा, जिसके कारण एकपक्षीय कार्यवाही का आदेश हुआ। एकपक्षीय कार्यवाही को अपास्त करने का पर्याप्त आधार। कार्यवाही अपास्त की गई।

    Next Story