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आदेश II नियम 2: आखिर कब दावे (Claim) का लोप करना या उसे त्याग देना, दूसरे वाद (Second Suit) को रोक देता है?

- सबसे पहले यह सुनिश्चित करना कि एक ही वादहेतुक (cause of action) के संबंध में किसी भी प्रतिवादी (defendant) के खिलाफ 2 बार वाद दायर एवं उसे परेशान नहीं किया जायेगा।
- दूसरा, वादी (Plaintiff) को कार्रवाई के एक ही वादहेतुक (cause of action) के आधार पर दावों और उपायों के विभाजन से रोकना है।
आदेश II नियम 2 (Order II Rule 2) के अंतर्गत आने वाले मामलों में सही परीक्षण है, "क्या नए वाद (suit) में किया गया दावा (claim), वास्तव में उस वादहेतुक (cause of action) पर आधारित है, जो पूर्व वाद (former suit) के वादहेतुक (cause of action) से भिन्न है।"
किसी भी व्यक्ति को एक ही वादहेतुक (cause of action) के लिए, एक से अधिक बार परेशान नहीं किया जाना चाहिए - यह नागरिक प्रक्रिया संहिता के आदेश II नियम 2 (Order II Rule 2) का अंतर्निहित सिद्धांत है।
सामान्य नियम यह है कि एक वाद (suit) में सम्पूर्ण दावे (whole of the claim) को शामिल किया जाना चाहिए, जिसका एक वादी, वादहेतुक (cause of action) के संबंध में हकदार है। यह आदेश II नियम 1 (Order II Rule 1) में सन्निहित है।
हालाँकि ऐसी कोई बाध्यता नहीं है, और वादी इस तरह के दावे के किसी भी हिस्से को त्यागने या छोड़ने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन इसका एक परिणाम है। वादी को उस दावे के हिस्से के लिए, जो छूट गया था या छोड़ दिया गया था, एक और वाद दायर करने से रोक दिया जाएगा। आदेश II नियम 2 (Order II Rule 2) इस रोक (bar) की बात करता है।
इस प्रावधान का प्रभाव, स्पष्ट रूप से संहिता में दिए गए दृष्टांत में बताया गया है:
"अ, ब को एक मकान 1200 रूपये प्रति वर्ष के किराए पर देता है। वर्ष 1905, 1906 और 1907 का पूरा किराया बकाया है और उसका भुगतान नहीं किया गया है। वर्ष 1908 में अ, ब के खिलाफ केवल वर्ष 1906 के बकाए किराये के लिए वाद दायर करता है। अ इसके बाद ब के खिलाफ, वर्ष 1905 या वर्ष 1907 के बकाए किराये के लिए वाद दायर नहीं कर सकेगा"
कोड के आदेश II नियम 2 (Order II Rule 2) की वस्तु दोहरी है:
कोड के आदेश II नियम 2 (Order II Rule 2) की वस्तु दोहरी है:
सबसे पहले यह सुनिश्चित करना कि एक ही वादहेतुक (cause of action) के संबंध में किसी भी प्रतिवादी (defendant) के खिलाफ 2 बार वाद दायर एवं उसे परेशान नहीं किया जायेगा।
दूसरा, वादी (Plaintiff) को कार्रवाई के एक ही वादहेतुक (cause of action) के आधार पर दावों और उपायों के विभाजन से रोकना है।