कर्नाटक BJP के एनिमेटेड वीडियो मामले में हाईकोर्ट ने शत्रुता को बढ़ावा देने की जांच में जेपी नड्डा, अमित मालवीय को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी

Amir Ahmad

21 Jun 2024 1:42 PM GMT

  • कर्नाटक BJP के एनिमेटेड वीडियो मामले में हाईकोर्ट ने शत्रुता को बढ़ावा देने की जांच में जेपी नड्डा, अमित मालवीय को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को अंतरिम राहत दी, जो कथित रूप से आपत्तिजनक एनिमेटेड वीडियो को लेकर दर्ज की गई एफआईआर के संबंध में है, जिसे पार्टी की कर्नाटक इकाई ने राज्य कांग्रेस द्वारा कथित मुस्लिम तुष्टिकरण पर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया था।

    जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की एकल पीठ ने कहा,

    "जांच को अपने सामान्य तरीके से जारी रखने की अनुमति है, बशर्ते कि जांच एजेंसी याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत उपस्थिति पर जोर न दे।"

    अदालत ने प्रतिवादियों को नोटिस भी जारी किया। याचिकाकर्ताओं के खिलाफ 05-05-2024 को रमेश बाबू नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी। यह मामला जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 और भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (2) के तहत धार्मिक समुदायों के बीच कथित रूप से नफरत और दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए दर्ज किया गया।

    याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि कथित अपराध में उनकी कोई भूमिका नहीं पाई गई और उन्हें केवल इस आधार पर फंसाया गया कि वे क्रमशः BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी हैं। यह कहा गया कि केवल इसलिए कि वे BJP के राष्ट्रीय प्रमुख हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने प्रत्येक राज्य में सोशल मीडिया पर प्रत्येक कथित पोस्ट में सक्रिय भूमिका निभाई।

    इसके अलावा यह प्रस्तुत किया गया कि इसी कार्रवाई के लिए कर्नाटक पुलिस ने मल्लेश्वरम पुलिस स्टेशन में एक और एफआईआर दर्ज की थी। इसलिए राज्य का उक्त कृत्य टीटी एंथनी बनाम केरल राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश से आहत है, जिसमें कहा गया कि एक ही कारण के लिए दो एफआईआर नहीं होनी चाहिए, यह तर्क दिया गया।

    यह कहा गया कि भले ही यह मान लिया जाए कि आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन वाला कोई वीडियो पोस्ट किया गया, केवल उक्त राज्य इकाई की संबंधित शाखा ही उक्त कृत्य की देखभाल और जिम्मेदारी लेती है और राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में याचिकाकर्ता जिम्मेदार नहीं है।

    यह प्रस्तुत किया गया कि प्रत्येक राज्य की प्रत्येक इकाई के दिन-प्रतिदिन के मामलों की निगरानी करना इंसान के लिए व्यावहारिक रूप से असंभव है। इसलिए कथित अपराध में याचिकाकर्ता को फंसाना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग था।

    इसके अलावा यह भी कहा गया कि शिकायत में उल्लिखित धार्मिक समुदायों के किसी भी सदस्य ने वीडियो जारी होने के बाद कोई शिकायत दर्ज नहीं की और दोनों समुदायों या लोगों के वर्ग के बीच दुर्भावना, दुश्मनी या घृणा का कोई कार्य नहीं हुआ जो कि आईपीसी की धारा 505 (2) के लिए आवश्यकता है।

    याचिकाकर्ताओं ने हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की। अंतरिम राहत के रूप में उन्होंने मामले में आगे की जांच पर रोक लगाने की मांग की।

    केस टाइटल- जे पी नड्डा और अन्य तथा कर्नाटक राज्य और अन्य

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