हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने वकीलों के उपस्थित न होने के कारण मामले में बहस बंद की

Amir Ahmad

29 April 2024 6:48 AM GMT

  • हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने वकीलों के उपस्थित न होने के कारण मामले में बहस बंद की

    जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस बिपिन सी नेगी की खंडपीठ द्वारा पारित सख्त आदेश में हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने राज्य में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाले मामले में निजी प्रतिवादियों के लिए बहस बंद की।

    न्यायालय ने देखा कि अपनी दलीलें पेश करने के लिए बार-बार अवसर और समय दिए जाने के बावजूद निजी प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने में विफल रहे या अपनी जिम्मेदारी से भागे रहे है।

    जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस बिपिन सी नेगी की खंडपीठ ने निजी प्रतिवादियों के वकीलों के आचरण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा,

    “वकील के दोहरे कर्तव्य होते हैं, एक अपने मुवक्किल के प्रति और दूसरा न्यायालय के प्रति। न्यायालय का अधिकारी होने के नाते न्यायालय के प्रति उसका बड़ा कर्तव्य होता है। वर्तमान मामले में निजी प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील बार-बार समय देकर न्यायालय द्वारा सुविधा प्रदान किए जाने के बावजूद दलीलों को संबोधित न करके न्याय प्रदान करने में न्यायालय की सहायता करने के अपने प्रमुख कर्तव्य को निभाने में विफल रहे हैं।

    यह मामला जो 22 अप्रैल, 2023 से न्यायालय की जांच के अधीन है, हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम 2006 की वैधानिकता से संबंधित है। मुख्य मुद्दा यह है कि क्या राज्य विधानमंडल के पास इस कानून को लागू करने की कानूनी क्षमता है।

    मामले की गंभीरता और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के न्यायालय के प्रयासों के बावजूद निजी प्रतिवादियों के वकील न्यायालय के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में लगातार विफल रहे हैं, जिसके कारण न्यायाधीशों को यह अभूतपूर्व कार्रवाई करनी पड़ी।

    निजी प्रतिवादियों के कानूनी प्रतिनिधियों द्वारा दलीलें सुनने से बचने या अनावश्यक स्थगन मांगने के विभिन्न उदाहरणों पर प्रकाश डालते हुए न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि वकील का कर्तव्य न केवल अपने मुवक्किल के प्रति बल्कि न्यायालय के प्रति भी होता है तथा न्याय प्रदान करने में न्यायालय की सहायता करने में विफलता अस्वीकार्य है।

    खंडपीठ ने निजी प्रतिवादियों के वकीलों के आचरण पर गहरी पीड़ा व्यक्त की तथा कहा कि उनके व्यवहार ने न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न की है

    आगे कहा गया,

    “उपर्युक्त परिस्थितियों में हम यह निष्कर्ष निकालने के लिए विवश हैं कि निजी प्रतिवादी अपनी ओर से दलीलें सुनने में रुचि नहीं रखते हैं, क्योंकि वस्तुतः उनके वकील न केवल लुका-छिपी का खेल खेल रहे हैं बल्कि न्यायालय को संबोधित करने से परहेज करके अपने मुवक्किलों की ओर से मामलों पर बहस करके अपने कर्तव्यों का पालन करने से भी इनकार कर रहे हैं। इसलिए निजी प्रतिवादियों की ओर से दलीलें बंद और समाप्त मानी जाती हैं।”

    इसके अलावा अदालत ने राज्य के प्रतिवादियों को 8 मई, 2024 को निर्धारित अगली सुनवाई से शुरू होकर दिन-प्रतिदिन के आधार पर अपनी दलीलें पेश करने का अंतिम अवसर दिया। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि वह आगामी कार्यवाही में प्रतिवादियों और उनके कानूनी प्रतिनिधियों के आचरण के आधार पर 8 जनवरी 2023 की अधिसूचना पर रोक लगाने के पिछले आदेश को संशोधित करने पर विचार करेगी।

    मामला राज्य प्रतिवादियों की दलीलों के लिए 8 मई 2024 को पोस्ट किया गया।

    केस टाइटल-पी. कल्पना देवी बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और संबंधित मामला।

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