जघन्य अपराध करने वाले कैदी के साथ भी इंसान जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए: मद्रास हाइकोर्ट ने दोषियों को मां की मृत्यु समारोह में शामिल होने की अनुमति दी

Amir Ahmad

13 Jan 2024 11:29 AM GMT

  • जघन्य अपराध करने वाले कैदी के साथ भी इंसान जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए: मद्रास हाइकोर्ट ने दोषियों को मां की मृत्यु समारोह में शामिल होने की अनुमति दी

    NDPS Act मामले में आरोपियों को अनुमति देते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जघन्य अपराध करने वाले कैदी भी इंसानों के रूप में व्यवहार करने के हकदार हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत अधिकार है।

    जस्टिस जे निशा बानू और जस्टिस केके रामकृष्णन की खंडपीठ ने कहा कि कैदियों को सामान्य अनुमति के संबंध में नियम अनुमति देते समय एकरूपता लाने के लिए है, लेकिन जब बात मां और बेटे के बीच के रिश्ते की आती है तो इन नियमों में संशोधन करना पड़ता है। अदालत ने कहा कि बेटे को उसकी मां के मृत्यु समारोह में शामिल होने से वंचित करना अत्याचारपूर्ण है।

    अदालत ने कहा,

    “नियम दोषी कैदियों को अनुमति देते समय एकरूपता लाने और जेल के बाहर दोषियों की आवाजाही को नियंत्रण में रखने के लिए हैं। लेकिन जब मां और बेटे के बीच के रिश्ते की बात आती है तो नियम में सुधार करना होगा। बेटे को अपनी ही मां के मृत्यु समारोह में शामिल होने से वंचित करना अत्याचारपूर्ण होगा। आख़िरकार, कैदी भी, जिसने जघन्य अपराध किया है, इंसान के रूप में व्यवहार करने का हकदार है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत इस तरह के अधिकार की गारंटी दी गई है।”

    अदालत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्रीय कारागार अधीक्षक को याचिकाकर्ता के बेटे और पोते को उसकी बेटी के मृत्यु समारोह में शामिल होने के लिए पांच दिन की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    अतिरिक्त लोक अभियोजक ने याचिका पर आपत्ति जताई और अदालत को सूचित किया कि तमिलनाडु सजा निलंबन नियम 1982 ( Tamilanadu Suspension of Sentence Act 1982) के नियम 21 के क्लॉज एच के अनुसार, जघन्य अपराधों के लिए दोषी कैदियों की श्रेणी सामान्य अनुमति की हकदार नहीं है।

    उन्होंने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों को NDPS Act के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया। इसलिए वे सामान्य अनुमति के हकदार नहीं होंगे।

    अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में बंदी की मां और बहन के क्रमशः 16वें दिन के समारोह में शामिल होने के लिए अनुमति मांगी जा रही है। समारोह के महत्व और बेटे और भाई के लिए इसके भावनात्मक मूल्य को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि नियमों के अनुसार बेटे और भाई को मृत्यु समारोह में शामिल होने से नहीं रोका जाना चाहिए। उन्हें अनुमति देना उचित होगा।

    याचिकाकर्ता के वकील- ए जोसेफ जेरी

    प्रतिवादी के वकील- एस.रवि।

    साइटेशन- लाइवलॉ (मैड) 19 2024

    केस टाइटल- पी गुणसेकरन बनाम उप महानिरीक्षक।

    केस नंबर: W.P(MD)No.229

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