विशेष परिस्थितियां: दिल्ली हाइकोर्ट ने केंद्र को भारत में जन्मी OIC धारक 17 वर्षीय लड़की को धारा 5(4) के तहत नागरिकता प्रदान करने का निर्देश दिया
Amir Ahmad
17 May 2024 2:48 PM IST
दिल्ली हाइकोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार को 17 वर्षीय लड़की को नागरिकता प्रदान करने का आदेश दिया, जो भारत में जन्मी और पली-बढ़ी हैष उसके माता-पिता ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) का दर्जा रखते हैं, लेकिन उसके जन्म के समय वे संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक थीं।
मामले की अध्यक्षता कर रही जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा,
"याचिकाकर्ता की स्थिति अद्वितीय है। याचिकाकर्ता का मामला नागरिकता अधिनियम 1955 (Citizenship Act, 1955) या पासपोर्ट अधिनियम 1967 (Passports Act, 1967 )के किसी भी विशिष्ट प्रावधान के अंतर्गत स्पष्ट रूप से शामिल नहीं है। पासपोर्ट केवल उसी व्यक्ति को जारी किया जा सकता है, जो भारत का नागरिक हो और निर्धारित पात्रता शर्तों को पूरा करता हो। याचिकाकर्ता का पासपोर्ट अस्वीकार करने का निर्णय पासपोर्ट एक्ट, 1967 की धारा 6(2)(ए) के साथ धारा 5(2)(सी) के तहत किया गया। धारा 6(2)(ए) में प्रावधान है कि यदि आवेदक भारत का नागरिक नहीं है तो पासपोर्ट जारी नहीं किया जा सकता।”
जस्टिस सिंह ने कहा,
“याचिकाकर्ता भारतीय मूल के व्यक्ति के रूप में भी योग्य है। इस प्रकार याचिकाकर्ता अधिनियम की धारा 5(1)(ए) के तहत पंजीकरण द्वारा भारतीय मूल के व्यक्ति की श्रेणी में नागरिकता का हकदार होगा। मामला स्पष्टीकरण 2 के अंतर्गत आएगा, क्योंकि याचिकाकर्ता के माता-पिता दोनों भारतीय नागरिक थे, जिन्होंने उसके बाद अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कर ली थी। इसके अलावा याचिकाकर्ता का जन्म भारत में हुआ था, जब उसके माता-पिता ओसीआई कार्ड धारक के रूप में कानूनी रूप से भारत में रह रहे थे।”
17 वर्षीय जेवियर, जिसका जन्म पालन-पोषण और शिक्षा भारत में हुई ने पासपोर्ट जारी करने की मांग की। उसने अदालत को बताया कि उसके पास कभी पासपोर्ट नहीं रहा और वह भारत में भारतीय मूल के माता-पिता की संतान है जिन्होंने अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कर ली है।
जब वह पैदा हुई तो उसके माता-पिता भारत में थे। हालांकि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई भी भारतीय नागरिक नहीं था, इसलिए पासपोर्ट जारी करने के लिए उसका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था।
मामले पर विचार करने के बाद जस्टिस सिंह ने पाया कि याचिकाकर्ता का मामला स्पष्ट रूप से नागरिकता अधिनियम की धारा 5 के तहत परिकल्पित विशेष परिस्थिति थी। ऐसा मामला था, जहां केंद्र सरकार उसे भारतीय नागरिकता देने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग कर सकती है।
जब वह पैदा हुई तो उसके माता-पिता भारत में थे, उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई भी भारतीय नागरिक नहीं था, इसलिए पासपोर्ट जारी करने के लिए उसके आवेदन को प्रतिवादी नंबर 3- क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी बेंगलुरु द्वारा दिनांक 6 नवंबर 2019 के आदेश के अनुसार अस्वीकार कर दिया गया। जेवियर ने विदेश मंत्रालय द्वारा जारी 25 अक्टूबर 2018 के कार्यालय ज्ञापन रद्द करने की भी मांग की जो उसके पासपोर्ट की अस्वीकृति का आधार था।
उल्लेखनीय है कि क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय बेंगलुरु ने 6 नवंबर, 2019 को पासपोर्ट एक्ट 1967 की धारा 6(2)(ए) सह धारा 5(2)(सी) का हवाला देते हुए उसका पासपोर्ट जारी करने से इनकार कर दिया था। उक्त आदेश में दर्ज किया गया कि माता-पिता दोनों ने भारतीय नागरिकता त्याग दी थी और मंत्रालय के 25 अक्टूबर 2018 के परिपत्र के मद्देनजर याचिकाकर्ता को भारतीय नागरिक के रूप में मान्यता प्राप्त करने का अधिकार नहीं था।
नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5(4) के बारे में बताते हुए, जो रजिस्ट्रेशन द्वारा नागरिकता प्रदान करने के लिए विशेष परिस्थितियों में केंद्र सरकार को शक्तियां प्रदान करती है।
न्यायालय ने जोर देकर कहा,
"भारत जैसे देश में ऐसे उदाहरण हो सकते हैं, जहां नागरिकता प्रदान करना उचित हो सकता है। खासकर नाबालिगों के लिए जिन्हें असाधारण परिस्थितियों में रखा जा सकता है। याचिकाकर्ता जैसे नाबालिगों को राज्यविहीन नहीं बनाया जा सकता और उन्हें बुनियादी मानवाधिकारों जैसे कि आवागमन की स्वतंत्रता, पहचान रखने की स्वतंत्रता, विदेश में भी अपनी इच्छानुसार शिक्षा प्राप्त करने की स्वतंत्रता आदि के लिए संघर्ष करने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। नागरिकता न दिए जाने और परिणामस्वरूप पासपोर्ट न दिए जाने से याचिकाकर्ता और उसके परिवार पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। कोई कारण नहीं है कि याचिकाकर्ता युवा लड़की को असामान्य रूप से असहज स्थिति के कारण संघर्ष करना पड़े- हो सकता है कि उसके माता-पिता/परिवार द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण ऐसा हुआ हो।"
न्यायालय ने कहा,
"याचिकाकर्ता की परिस्थितियां ऐसी हैं कि भारत में दो OIC कार्ड धारकों के घर जन्म लेने, भारत में शिक्षा प्राप्त करने और अपने परिवार के साथ भारत में रहने के बावजूद, वह पासपोर्ट प्राप्त करने में असमर्थ है। याचिकाकर्ता जिन परिस्थितियों में है, वे स्पष्ट रूप से अधिनियम की धारा 5(4) के तहत परिकल्पित विशेष परिस्थितियां हैं।”
न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामला ऐसा है, जहां केंद्र सरकार के लिए याचिकाकर्ता को नागरिकता प्रदान करने पर अनुकूल रूप से विचार करने के लिए धारा 5(4) के तहत सक्षम शक्तियों का उपयोग करने के लिए विशेष परिस्थितियां हैं। तदनुसार, न्यायालय ने निर्देश दिया कि जेवियर को अधिनियम की धारा 5 के तहत नागरिक के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन करने की अनुमति दी जाए और आवेदन पर कार्रवाई की जाए और सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 30 दिनों के भीतर नागरिकता पर निर्णय दिया जाए।
न्यायालय ने आगे निर्देश दिया कि पंजीकरण द्वारा उक्त नागरिकता प्राप्त करने के बाद, जेवियर पासपोर्ट एक्ट के तहत पासपोर्ट जारी करने के लिए नया आवेदन दायर करेगा, जिसे शीघ्रता से प्रदान किया जाएगा अर्थात आवेदन की तिथि से 15 दिनों के भीतर।
न्यायालय ने रिट याचिका को अनुमति देते हुए निष्कर्ष निकाला,
“इसके अलावा यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता स्वयं नवंबर 2024 में वयस्कता की आयु प्राप्त कर रही है। उसने 25 अक्टूबर, 2018 के कार्यालय ज्ञापन के अनुसार भारतीय नागरिक बनने की अपनी मंशा और पसंद को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया, उपरोक्त आदेश वर्तमान मामले के अनूठे और विशेष तथ्यों और परिस्थितियों में पारित किया जा रहा है।”
केस टाइटल- रचिता फ्रांसिस जेवियर बनाम भारत संघ और अन्य