दिल्ली हाइकोर्ट ने मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन को भंग करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Amir Ahmad

16 April 2024 10:02 AM GMT

  • दिल्ली हाइकोर्ट ने मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन को भंग करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

    दिल्ली हाइकोर्ट ने मंगलवार को मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन (MAEF) को भंग करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसे शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 1989 में स्थापित किया गया था।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने डॉ. सैयदा सैय्यदैन हमीद जॉन दयाल और दया सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी।

    अदालत ने पाया कि फाउंडेशन को भंग करने के लिए MAEF की आम सभा द्वारा लिया गया निर्णय सुविचारित निर्णय है। इसने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को खारिज कर दिया कि विघटन का निर्णय संबंधित अधिनियम की पुष्टि नहीं करता है।

    अदालत ने कहा,

    "हमें याचिका में कोई योग्यता नहीं मिली। तदनुसार इसे खारिज किया जाता है।"

    याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर वकील आनंद ग्रोवर पेश हुए।

    एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने भारत संघ का प्रतिनिधित्व किया।

    केंद्र सरकार ने यह रुख अपनाया कि अल्पसंख्यकों के लाभ के लिए योजनाओं को समग्र रूप से क्रियान्वित करने वाला समर्पित मंत्रालय होने के बावजूद MAEF अप्रचलित हो गया।

    इस याचिका में केंद्र सरकार के 7 फरवरी को पारित आदेश को चुनौती दी गई, जिसके तहत MAEF को जल्द से जल्द बंद करने का निर्देश दिया गया।

    फाउंडेशन को मौजूदा कानूनों के अनुसार सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद दिल्ली सरकार के सोसायटी रजिस्ट्रार द्वारा जारी किए गए बंद करने के सर्टिफिकेट की कॉपी भी जमा करने के लिए कहा गया।

    इस याचिका में कहा गया कि लगभग चार दशक पुरानी संस्था को खत्म करने और इसकी संपत्ति और धन को हड़पने के इस तरह के अचानक अपारदर्शी और पूरी तरह से मनमाने फैसले से कई छात्रों, स्कूलों और गैर सरकारी संगठनों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है।

    केस टाइटल- डी.आर. सैयदा सैयदैन हमीदा और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य।

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