निर्दिष्ट सीट पर न्यायालय के पास मध्यस्थता से उत्पन्न होने वाले आवेदनों पर विचार करने का विशेष अधिकार होगा: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
Amir Ahmad
11 Dec 2024 2:59 PM IST
जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की पीठ ने माना कि मध्यस्थता समझौते में निर्दिष्ट सीट पर पर्यवेक्षी अधिकार रखने वाले न्यायालय के पास मध्यस्थता कार्यवाही से उत्पन्न होने वाले सभी आवेदनों पर विचार करने का विशेष अधिकार होगा।
संक्षिप्त तथ्य
वर्तमान अपील कमर्शियल कोर्ट द्वारा 6 अगस्त 2024 को पारित एक आदेश के विरुद्ध मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 के तहत दायर की गई, जिसके द्वारा धारा 9 के तहत अपीलकर्ता द्वारा एक आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि एल6 भागीदार समझौते के खंड 54 में मध्यस्थता समझौते में चेन्नई को मध्यस्थता की सीट के रूप में नामित किया गया, इसलिए चेन्नई की अदालत के पास बीजीएस एसजीएस सोमा जेवी बनाम एनएचपीसी लिमिटेड (2020) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार आवेदन पर विचार करने का विशेष अधिकार होगा।
अपीलकर्ता का कहना है कि कमर्शियल कोर्ट द्वारा आवेदन को विचारणीय न मानते हुए उसे खारिज करना पूरी तरह से अनुचित है। उसे आवेदन को गुण-दोष के आधार पर स्वीकार करना चाहिए था और गुण-दोष के आधार पर ही उस पर निर्णय लेना चाहिए।
प्रतिवादियों का तर्क है कि विशेष अधिकार क्षेत्र के खंड के मद्देनजर कि मध्यस्थता की सीट चेन्नई में होगी। कमर्शियल कोर्ट द्वारा यह मानना पूरी तरह से उचित है कि ए एंड सी अधिनियम की धारा 9 के तहत आवेदन विचारणीय नहीं है।तत्काल अपील खारिज किए जाने योग्य है।
अवलोकन:
अदालत ने पाया कि कमर्शियल कोर्ट ने यह देखते हुए कि मध्यस्थता कार्यवाही की सीट चेन्नई में होगी और वह विशेष अधिकार क्षेत्र खंड है, बीजीएस एसजीएस सोमा जेवी (सुप्रा) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर विचार किया, जिसमें यह माना गया कि जहां पार्टियों ने अपने समझौते में मध्यस्थता की सीट का चयन किया है, ऐसा चयन तब एक विशेष अधिकार क्षेत्र खंड के बराबर होगा, क्योंकि पार्टियों ने अब संकेत दिया कि सीट पर स्थित न्यायालयों के पास ही सीट पर किए गए मध्यस्थता अवार्ड के खिलाफ चुनौतियों पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र होगा।
इंडस मोबाइल डिस्ट्रीब्यूशन (पी) लिमिटेड बनाम डेटाविंड इनोवेशन (पी) लिमिटेड, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जिस क्षण सीट नामित की जाती है, वह विशेष अधिकार क्षेत्र खंड के समान है।
अंत में न्यायालय ने कहा कि उपरोक्त के आलोक में हमारा विचार है कि कमर्शियल कोर्ट का यह मानना उचित है कि अनुबंध समझौते यानी एल6 भागीदार समझौते में विशेष अधिकार क्षेत्र खंड के मद्देनजर A&C Act की धारा 9 के तहत आवेदन पर निर्णय लेने का उसके पास कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। आवेदन बनाए रखने योग्य न होने के कारण खारिज करना भी उचित है, जो पूरी तरह से कानून के अनुसार है।
केस टाइटल: राधाकिशन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम कैरेटलेन ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड और अन्य।