पति द्वारा भुगतान न किए जाने के बावजूद पत्नी अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए काम कर रही है, भरण-पोषण कम करने का कोई आधार नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

Sharafat

27 Sep 2023 6:44 AM GMT

  • पति द्वारा भुगतान न किए जाने के बावजूद पत्नी अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए काम कर रही है, भरण-पोषण कम करने का कोई आधार नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई पत्नी आर्थिक तंगी के कारण अपने और बच्चे के दैनिक खर्चों की पूर्ति के लिए काम करना शुरू कर देती है तो यह उसके पति द्वारा उसे दिए जाने वाले गुजारा भत्ते को कम करने का आधार नहीं है।

    अदालत ने पति की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पत्नी को 8,000 रु. नाबालिग बच्चे के लिए 3,000रुपये के मासिक भरण-पोषण को संशोधित करने से इनकार कर दिया गया था।

    अदालत ने कहा,

    “ भले ही अंतरिम भरण-पोषण मंजूर कर लिया गया हो, अपीलकर्ता पर लगभग 4,67,000/- रु. का बकाया है और अपीलकर्ता/पति अंतरिम भरण-पोषण का भुगतान नहीं कर रहा है। इस तरह के वित्तीय संकट का सामना करते हुए यदि प्रतिवादी (पत्नी) ने काम करना शुरू कर दिया है और आय का कुछ स्रोत उत्पन्न किया है जो कि लगभग 10,000 रुपए प्रति माह है, अपने और बेटी के दैनिक खर्च के लिए इसे गुजारा भत्ता कम करने का आधार नहीं माना जा सकता।"

    पति ने इस आधार पर भरण-पोषण राशि में कटौती की मांग की थी कि कोविड-19 महामारी के कारण उसकी कमाई कम हो गई है और पत्नी ने कमाना शुरू कर दिया है। उसने यह भी दावा किया कि पत्नी ने अपने रोजगार और कमाई के तथ्य को छुपाया था।

    अपील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, " प्रतिवादी ने 6,000 रुपये से 10,000/- रुपये की आय का कुछ स्रोत बनाकर अपने खर्चों को पूरा करने का प्रयास किया, जहां पति गुजारा भत्ता देने के अपने दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहा है और 4,67,000/- रुपये से अधिक का बकाया है, इसे अंतरिम भरण पोषण को संशोधित/कम करने का कारण नहीं माना जा सकता।”

    अपीलकर्ता की ओर से एडवोकेट फैसल पेश हुए, जबकि प्रतिवादी की ओर से एडवोकेट अभय मणि त्रिपाठी और हेमंत गुलाटी उपस्थित हुए।

    Next Story