'सभी मामले केवल एक विशेष वकील को ही क्यों सौंपे गए?': कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर की व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश दिए

LiveLaw News Network

20 Dec 2021 11:17 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट 

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय के पुलिस आयुक्त को बिधाननगर के साइबर अपराध पुलिस स्टेशन के सभी मामलों को केवल एक विशेष वकील को सौंपने के लिए कड़ी फटकार लगाई, जिसके कारण उस वकील की ओर से बार-बार स्थगन की मांग के कारण अदालती कार्यवाही में बार-बार व्यवधान उत्पन्न हुआ।

    न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने पुलिस आयुक्त, बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की।

    पीठ ने कहा,

    "पुलिस आयुक्त, बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय व्यक्तिगत रूप से 20.12.2021 को सुबह 10.30 बजे इस न्यायालय के समक्ष पेश होकर यह स्पष्ट करेंगे कि उस पुलिस आयुक्तालय के साइबर अपराध पुलिस स्टेशन के ट्रायल कोर्ट से हाईकोर्ट तक के सभी मामले के एक विशेष वकील को क्यों सौंपे गए हैं और इस न्यायालय की कार्यवाही को बाधित करने के लिए कमिश्नरी को जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए।"

    कोर्ट ने यह टिप्पणी अधिवक्ता बिवास चटर्जी (राज्य के वकील को सौंपा) की ओर से स्थगन के अनुरोध के बाद की, इस आधार पर कि वह चिनसुराह में एक अधीनस्थ अदालत में लगे हुए हैं।

    यह मानते हुए कि यह 'इस न्यायालय का पूर्ण मजाक' बनाया जा रहा है, न्यायमूर्ति घोष ने कानूनी स्मरणकर्ता की व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए भी कहा कि यह समझाने के लिए कि ऐसे सभी मामलों का संचालन करने के लिए एक ही वकील को क्यों नियुक्त किया गया है।

    कोर्ट ने कहा,

    "कानूनी स्मरणकर्ता भी 20.12.2021 को सुबह 10.30 बजे इस न्यायालय के समक्ष पेश होकर यह स्पष्ट करेंगे कि ऐसे सभी मामलों के संचालन के लिए एक ही वकील की नियुक्ति क्यों की गई है और क्या इस तरह के मामलों का संचालन करने के लिए हाईकोर्ट में सक्षम वकील की कोई कमी है।"

    कोर्ट बिधाननगर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन मामले में दर्ज एक मामले के संबंध में सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर एक जमानत याचिका पर फैसला सुना रही थी, जब राज्य के वकील की ओर से उक्त स्थगन की मांग की गई थी।

    मामले को 20 दिसंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। रजिस्ट्रार जनरल, हाईकोर्ट, कलकत्ता को भी संबंधित कार्यालयों को तुरंत आदेश देने का निर्देश दिया गया है।

    केस का शीर्षक: इन री अभय तिवारी

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