यूपी पुलिस ने 'एंटी-लव जिहाद कानून' के तहत मामले की जांच कर्नाटक पुलिस को ट्रांसफर की: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगाई, राज्य से जवाब मांगा
LiveLaw News Network
9 Sept 2021 11:17 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा 'एंटी-लव जिहाद कानून' [यू.पी. गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अध्यादेश, 2020] मामले की जांच को कर्नाटक पुलिस को स्थानांतरित करने के आदेश पर रोक लगा दी और राज्य सरकार से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ एक महिला उम्मे कुलसुम की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में यूपी के पुलिस आयुक्त, लखनऊ द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें यूपी लव जिहाद कानून के तहत दर्ज एक मामले की जांच पुलिस आयुक्त, बंगलौर शहर को स्थानांतरित करने के लिए कहा गया था।
संक्षेप में मामला
याचिकाकर्ता कुलसुम ने आईपीसी की धारा 498-ए, 323, 506, 507, 384 और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3, 4 और यू.पी. गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अध्यादेश, 2020 की धारा 3, 5 (1) के तहत अभियुक्त प्रतिवादी संख्या 3 एवं 4 के विरुद्ध पुलिस थाना इंदिरा नगर, जिला लखनऊ में एफआईआर दर्ज कराई थी।
हालांकि, पुलिस आयुक्त, यूपी, लखनऊ ने अपनी जांच पुलिस आयुक्त, बैंगलोर सिटी को स्थानांतरित कर दी और उसी से असंतुष्ट कुलसुम ने उक्त आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।
याचिकाकर्ता कुलसुम की ओर से पेश अधिवक्ता विकास विक्रम सिंह ने प्रस्तुत किया कि पुलिस आयुक्त, यूपी, लखनऊ के आदेश को इस आधार पर रद्द किया जा सकता है कि यह एक वैवाहिक विवाद है और सिर्फ इसलिए कि घटना का कुछ हिस्सा बंगलौर में हुआ है, यह जांच को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का आधार नहीं हो सकता है।
कोर्ट ने यूपी राज्य को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और मामले को 27 सितंबर, 2021 के लिए सूचीबद्ध किया।
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि पुलिस आयुक्त, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा दिनांक 10.08.2021 को पारित आदेश सूचीबद्ध करने, प्रभाव और संचालन की अगली तिथि तक रोक रहेगी।
केस का शीर्षक - उम्मे कुलसुम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य