उमेश पाल मर्डर केस - यूपी कोर्ट ने गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद, उसके भाई को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा
Sharafat
13 April 2023 3:07 PM IST
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले की एक अदालत ने उमेश पाल हत्या मामले में गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को गुरुवार को सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
पाल और उनके दो पुलिस सुरक्षा गार्डों को फरवरी में प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में उनके घर के बाहर गोली मार दी गई थी। वह 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले का मुख्य गवाह था।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश गौतम ने अहमद और अशरफ दोनों की उपस्थिति में यह आदेश पारित किया। यह घटनाक्रम इन खबरों के बीच आया है कि अहमद का बेटा असद, जो उमेश पाल हत्याकांड में भी वांछित है, वह आज झांसी में उत्तर प्रदेश विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा एक मुठभेड़ में मारा गया।
मामले में एफआईआर पाल की पत्नी द्वारा अहमद, अशरफ, उनके परिवार के सदस्यों और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 147 (दंगा), धारा 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), धारा 149 (अपराध के लिए गैरकानूनी रूप से जमा होना), धारा 302 (हत्या), धारा 307 (हत्या का प्रयास) और धारा 506 (आपराधिक धमकी), धारा 302 (हत्या), धारा 307 (हत्या का प्रयास) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दर्ज शिकायत पर आधारित है।
अहमद को जहां अहमदाबाद की साबरमती जेल से अदालत लाया गया, वहीं उसके भाई अशरफ को बरेली जेल से लाया गया।
पिछले महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को पूर्व लोकसभा सांसद अतीक अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था, जब जेल स्थानांतरण के दौरान उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ/रिमांड कार्यवाही के संबंध में पूछताछ की जा रही थी।
पिछले महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अली अहमद , एक अन्य पुत्र अहमद को हत्या के प्रयास के मामले में ज़मानत देने से इनकार कर दिया क्योंकि यह पाया गया कि अली एक माफिया डॉन बनाने की ओर अग्रसर है, जिसकी भूमिका उमेश पाल हत्याकांड में भी सामने आई है।
यूपी की एक स्थानीय अदालत ने पिछले महीने प्रयागराज में एमपी / एमएलए कोर्ट द्वारा उमेश पाल अपहरण मामले में अहमद और दो अन्य को दोषी ठहराया था । बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के चश्मदीद गवाह पाल का 2006 में अपहरण कर लिया गया था और उन्हें अतीक और अन्य के खिलाफ सबूत नहीं देने के लिए मजबूर किया गया था। इस मामले में एफआईआर उमेश पाल ने जुलाई 2007 में दर्ज कराई थी।