[टोक्यो पैरालंपिक] 'उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा': दिल्ली हाईकोर्ट में पीसीआई ने निशानेबाज नरेश शर्मा को टोक्यो गेम्स 2020 के लिए शॉर्टलिस्ट नहीं किए जाने के खिलाफ दायर याचिका में कहा

LiveLaw News Network

9 Aug 2021 12:03 PM GMT

  • [टोक्यो पैरालंपिक] उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा: दिल्ली हाईकोर्ट में पीसीआई ने निशानेबाज नरेश शर्मा को टोक्यो गेम्स 2020 के लिए शॉर्टलिस्ट नहीं किए जाने के खिलाफ दायर याचिका में कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट में भारत की पैरालंपिक समिति ने शुक्रवार को कहा कि उसने आगामी टोक्यो पैरालंपिक खेलों के लिए चयन के दौरान अर्जुन पुरस्कार विजेता निशानेबाज नरेश कुमार शर्मा के साथ भेदभाव नहीं किया है।

    संस्था की ओर से पेश अधिवक्ता महावीर रावत ने अदालत को सूचित किया कि शूटर दीपक, जिसकी जगह शर्मा भाग लेना चाहते हैं, ने टोक्यो खेलों के लिए कोटा अर्जित किया और एक इवेंट में शर्मा से 23 अंक अधिक हासिल किए।

    एडवोकेट रावत ने कोर्ट में कहा कि,

    "वो (शर्मा) एक अच्छे निशानेबाज हैं। हमें उन पर गर्व है। लेकिन एक खिलाड़ी को जीत और हार दोनों को स्वीकार करना चाहिए। उसका प्रदर्शन पिछले 2-3 वर्षों में अच्छा नहीं रहा है।"

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ शर्मा द्वारा एकल न्यायाधीश के आदेश की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पैरा स्पोर्ट्स के प्रचार और विकास के लिए शीर्ष निकाय भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) द्वारा टोक्यो गेम्स 2020 के लिए शॉर्टलिस्ट नहीं करने के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया गया था।

    इस मामले में 30 जुलाई को नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद यह मामला तत्काल राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

    शीर्ष अदालत ने पीसीआई से कार्यक्रम के लिए शर्मा के नाम की सिफारिश करने और अनुपालन रिपोर्ट देने को कहा था। बाद में अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति ने कहा कि शर्मा को भारत से अतिरिक्त प्रतिभागी के रूप में शामिल करना संभव नहीं है, उसके बाद मामले का निपटारा कर दिया गया।

    हालांकि शर्मा को उच्च न्यायालय के समक्ष बहस करने की स्वतंत्रता दी गई थी कि क्या उन्हें किसी अन्य उम्मीदवार दीपक के स्थान पर भेजा जाना चाहिए।

    कोर्ट के समक्ष एडवोकेट रावत ने दावा किया कि पैरालिंपिक में सिर्फ 154 निशानेबाज ही हिस्सा ले सकते हैं। चयन उद्देश्यों के लिए ऐसी घटनाएं होती हैं जहां कोई देश खुद का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोटा अर्जित करता है। आप जितने कोटा कमाते हैं, उतने निशानेबाजों को हम पैरालिंपिक के लिए भेज सकते हैं।

    उन्होंने कहा कि दीपक देश के लिए कोटा दिलाने में सफल रहे। रावत ने कोर्ट को बताया कि दीपक पेरू चैंपियनशिप में चौथे नंबर पर था। उसने कोटा हासिल किया। वह एक राष्ट्रीय चैंपियन है।

    एडवोकेट रावत ने कहा कि पीसीआई ने शर्मा के नाम की सिफारिश आईपीसी को यह कहते हुए की थी कि वह एक अच्छा निशानेबाज है। लेकिन आईपीसी ने जवाब दिया कि हमारा कोटा केवल 10 लोगों का है। हम और क्या कर सकते हैं?

    अपनी याचिका में शर्मा ने आरोप लगाया था कि टोक्यो पैरालंपिक 2020 में भाग लेने के लिए पात्र होने के लिए एक पैरा शूटर ने WSPS (वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स) द्वारा अनुमोदित कम से कम दो अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना होता है। सिंह ने बताया कि उक्त दीपक ने केवल एक ऐसे आयोजन में भाग लिया था और समिति ने सर्बिया ग्रां प्री को उसके अंकों की गणना के लिए गलत माना है, भले ही उक्त घटना नियम 1.2 और 2.9 के संदर्भ में मान्यता प्राप्त डब्ल्यूएसपीएस प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं है।

    दूसरी ओर एडवोकेट रावत ने दावा किया कि डब्ल्यूएसपीएस ने इस मामले में सर्बिया की घटना को एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में मान्यता दी है।

    एडवोकेट रावत ने तर्क दिया कि दीपक का केवल एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम था, इसलिए डब्ल्यूएसपीएस ने कहा कि यदि आप सर्बिया ग्रां प्री में भाग ले सकते हैं और जीत सकते हैं तो ठीक है। अन्यथा, दीपक का एमक्यूएस कोटा समाप्त हो जाएगा। इसलिए सर्बिया के इवेंट में मौका मिला था।

    कोर्ट इस मामले की सुनवाई कल यानी 10 अगस्त को जारी रखेगा।

    केस का शीर्षक: नरेश कुमार शर्मा बनाम पीसीआई

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