टीका बनाने के लिए फंड देने पर निष्क्रियता बरतने के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका
LiveLaw News Network
26 May 2020 11:17 AM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर स्वास्थ्य मंत्रालाय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह उस आदेश को वापस ले ले जिसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए टीका बनाने संबंधी शोध की सुविधा वह नहीं देगा।
यह याचिका कनिष्क सिन्हा ने दायर की है जो ई-रिक्शा सहित कई पेटेंट के मालिक हैं और कहा है कि हाईकोर्ट ने 8 अप्रैल को जारी आदेश में सरकार को शोध सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। हालाँकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने यह कहते हुए ऐसा करने से मना कर दिया कि उसने COVID-19 टीका अनुसंधान को विघटित कर दिया है, क्योंकि जैव तकनीकी विभाग ने इस बारे में नेतृत्व संभाल लिया है।
इसे दखते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार की निष्क्रियता को चुनौती दी है।
याचिका में कहा गया है कि सरकार और संबंधित अथॉरिटीज़ को "अब तक हुई मौतों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है और "इस टीका के विकास के प्रस्ताव को समर्थन नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत बहुत ही भेदभाव वाला है।
याचिका के अनुसार,
"इससे पश्चिम बंगाल और पूरे देश की जनता को संक्रमण-मुक्त वातावरण में रहने से रोकने का काम किया गया है और यह संविधान के अनुच्छेद 21, 48A और 51(g) का उल्लंघन है।"
यह भी कहा गया है कि सरकार ने एक ऐसे समय में जब वैज्ञानिक समुदाय इस संक्रमण को रोकने के लिए टीके का इजाद करने में लगा है, याचिकाकर्ता को इस टीके के अनुसंधान को जारी रखने की अनुमति नहीं देकर मनमाना रवैया अपनाया है।
याचिका में यह मांग भी की गई है कि सरकार प्रायोजित इस शोध के लिए कितनी राशि दी गई है, इसकी समय सीमा क्या है और प्रक्रिया क्या है और COVID-19 का टीका तैयार करने की दिशा में अभी तक क्या प्रगति हुई है इसका खुलासा किया जाए।
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