कोरोना वायरस के संक्रमण के समय में पुलिस ज़्यादती की ख़िलाफ़ तेलंगाना हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, भेजा नोटिस

LiveLaw News Network

11 April 2020 3:15 AM GMT

  • कोरोना वायरस के संक्रमण के समय में पुलिस ज़्यादती की ख़िलाफ़ तेलंगाना हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, भेजा नोटिस

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने बुधवार को स्वतः संज्ञान लेते हुए कोरोना वायरस के समय लॉकडाउन को नहीं मानने वालों के ख़िलाफ़ पुलिस ज़्यादतियों के मामले की सुनवाई की। इस बारे में वानापार्थी में हुई घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाँच की और इस पर महाधिवक्ता का जवाब मांंगा।

    वकील उमेश चंद्रा पीवीजी ने 4 अप्रैल 2020 को वानापार्थी में एक व्यक्ति को उसके बच्चे के सामने पुलिस पिटाई के बारे मेन एक पत्र लिखकर तेलंगाना हाईकोर्ट का ध्यान आकृष्ट किया था।

    सोशल मीडिया में इस पिटाई पर हंगामा मचने के बाद इसमें कथित रूप से शामिल एक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया।

    इस पत्र में कहा गया,

    "वानापार्थी में पुलिस ने 2 अप्रैल 2020 को अपने अधिकारों का पूरा उल्लंघन किया जब शायद मुरली कृष्णा नमक एक मोटरसाइकिल सवार जो दूध और अन्य वस्तुओं की ख़रीददारी क लिए निकला था, को एक पुलिसवाले ने निर्दयतापूर्वक मारा। दूसरे पुलिसवाले तमाशा देख रहे थे। इस आदमी की पिटाई करनेवाला यह सिपाही वर्दी में नहीं था और उस समय इस आदमी का बेटा जिसका नाम शायद निक्रोश था, वही खड़ा था। इस घटना का जो वीडियो उपलब्ध हाई उसमें इस व्यक्ति का बेटा पुलिसवाले से उसके पिता को नहीं मारने को कहता दिखाई दे रहा है।"

    वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान ने महाधिवक्ता से पूछा कि क्या दोषी पुलिस अधिकारी के ख़िलाफ़ एफआईआर दायर किया गया है या नहीं या कोई और कार्रवाई की गई है कि नहीं।

    उमेश चंद्र पीवीजी ने कहा कि एसपी ने तुरंत कार्रवाई जो स्वागत योग्य है पर सिर्फ़ एक ही पुलिसवाले के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है जबकि इसमें दूसरे भी शामिल थे और ऐसा सिर्फ़ पीड़ित व्यक्ति को सांत्वना देने के लिए किया गया है और सांकेतिक कार्रवाई है।

    चंद्र ने कथित पुलिसवालों के ख़िलाफ़ एफआईआर भी दर्ज कराया था और इस मामले की जाँच के लिए एक न्यायिक कमिटी गठित करने की माँग की ताकि नागरिकों के ख़िलाफ़ सभी पुलिस ज़्यादतियों की जाँच हो सके।

    इन बातों को देखते हुए अदालत ने कहा कि चूंकी यह एक अकेली घटना है और इसका अर्थ यह नहीं निकला जाना चाहिए कि ऐसा हमेशा होता है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 17 अप्रैल 2020 को होगी।

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