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आयकर रिटर्न तलब करना निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं, ये सरकारी दस्तावेज हैं : तेलंगाना हाईकोर्ट

LiveLaw News Network
19 Feb 2020 4:56 AM GMT
आयकर रिटर्न तलब करना निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं, ये सरकारी दस्तावेज हैं : तेलंगाना हाईकोर्ट
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तेलंगाना हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अदालत में आयकर रिटर्न पेश करने का निर्देश संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करेगा, क्योंकि ये दूसरों के लिए सुलभ सरकारी दस्तावेज हैं।

न्यायालय ने उस दीवानी पुनरीक्षण याचिका का फैसला करते हुए यह व्यवस्था दी, जिसमें एक ट्रायल कोर्ट द्वारा सिविल सूट में प्रतिवादी का आयकर रिटर्न तलब करने संबंधी अर्जी ठुकराये जाने को चुनौती दी गयी थी।

यह मुकदमा एक कंपनी द्वारा दायर किया गया था, जिसमें बचाव पक्ष के नाम से खरीदी गयी सम्पत्ति को बेनामी सम्पत्ति घोषित करने की मांग की गयी थी, क्योंकि बिक्री मूल्य कंपनी ने अग्रिम के तौर पर दिये थे।

वाद के अनुसार, बचाव पक्ष कंपनी का अतिरिक्त निदेशक था, जिसके नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी गयी थी। उसे बाद में कंपनी के निदेशक पद से हटा दिया गया था, लेकिन उसने प्रॉपर्टी लौटाने से इन्कार कर दिया था और कहा था कि वह प्रॉपर्टी उसकी खुद की थी। इस पृष्ठभूमि में मुकदमा दायर किया गया था।

इस मुकदमे में कंपनी ने वादकालीन अर्जी दाखिल करके बचाव पक्ष को आयकर रिटर्न पेश करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था ताकि यह साबित किया जा सके कि बचावपक्ष के पास संबंधित प्रॉपर्टी खरीदने की वित्तीय क्षमता नहीं थी।

ट्रायल कोर्ट ने 'राजू सेबेस्तियां और अन्य बनाम भारत सरकार' के मामले में केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले पर भरोसा करते हुए अर्जी खारिज कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि वैधानिक समर्थन के बिना आयकर रिटर्न के बारे में जानकारी मांगना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा। इस आदेश को चुनौती देते हुए कंपनी ने उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी।

तेलंगाना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति टी अमरनाथ गौड़ ने पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि राजू सेबेस्तियां मामले में दिया गया फैसला इस मामले में लागू नहीं होगा, क्योंकि यहां मामला यह था कि क्या बचाव पक्ष के पास संबंधित प्रॉपर्टी खरीदने की वित्तीय क्षमता थी? इस मामले के निर्धारण के लिए आयकर रिटर्न पेश करना अनिवार्य था।

कोर्ट ने कहा, "यदि यह (आयकर रिटर्न) कोर्ट के समक्ष पेश कर दिया जाता है, तो इससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन नहीं होता है, क्योंकि ये सरकारी दस्तावेज हैं और दूसरों के लिए भी सुलभ हैं।"

'पेंटाकोटा सूर्या अप्पा राव बनाम पेंटाकोटा सीतायम्मा' मामले में हाईकोर्ट के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि आयकर रिटर्न सार्वजनिक दस्तावेज हैं और उसे कोर्ट द्वारा तलब किया जा सकता है।

गौरतलब है कि राजू सेबस्तियां मामले में केरल हाईकोर्ट की एक पीठ ने व्यवस्था दी थी कि बैंक खाते और आयकर रिटर्न निजी एवं व्यक्तिगत जानकारियां होती हैं और इसे बगैर किसी संवैधानिक समर्थन के तलब करना निजता के अधिकारों का उल्लंघन होता है। इस आधार पर कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा खुदरा दुकानदारों के डीलरों से बैंक स्टेटमेंट और आयकर रिटर्न मांगना गैरकानूनी था।

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