आरटीआई दायर कर आरएसएस से संबंधित जानकारी मांगने पर समन, बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य से जवाब मांगा

Brij Nandan

17 Jan 2023 11:01 AM IST

  • आरटीआई दायर कर आरएसएस से संबंधित जानकारी मांगने पर समन, बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य से जवाब मांगा

    Bombay High Court

    बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर पीठ ने हाल ही में महाराष्ट्र सरकार और नागपुर पुलिस को एक व्यक्ति की रिट याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसके खिलाफ आरटीआई दायर कर आरएसएस से संबंधित जानकारी मांगने पर समन जारी किया गया था।

    जस्टिस रोहित बी देव और जस्टिस वाईजी खोब्रागड़े की खंडपीठ ने ललन किशोर सिंह (61) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। याचिका में सहायक पुलिस निरीक्षक (एपीआई), ट्रैफ़िक द्वारा 26 दिसंबर, 2021 को उन्हें जारी किए गए नोटिस को रद्द करने की मांग की गई थी।

    उन्होंने अपनी याचिका पर फैसला होने तक नोटिस के प्रभाव और क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की है।

    सिंह ने दावा किया कि उन्हें न्यूज पेपर से पता चला है कि सरकार नागपुर स्थित आरएसएस कार्यालय को सुरक्षा प्रदान कर रही है। आगे कहा कि यह एक "अपंजीकृत एनजीओ" है।

    जिज्ञासावश सिंह ने कहा कि उन्होंने 30 जून, 2021 को एक आरटीआई आवेदन दायर कर राज्य के गृह विभाग से यह जानकारी मांगी थी कि किस आधार पर आरएसएस कार्यालय को सुरक्षा प्रदान की जा रही है और उस पर कितना खर्च किया जा रहा है।

    उनका दावा है कि आरटीआई अनुरोध को तब राज्य के खुफिया विभाग और बाद में नागपुर पुलिस को भेज दिया गया था।

    इस प्रकरण के बाद, नागपुर (विशेष शाखा) के पुलिस उपायुक्त ने उन्हें बताया कि यह आरटीआई अधिनियम से मुक्त है इसलिए जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती है।

    इस बीच 26 दिसंबर, 2021 को नागपुर शहर में एपीआई (ट्रैफिक), एमआईडीसी ने उन्हें पूछताछ के लिए नोटिस दिया।

    दिहाड़ी मजदूर होने का दावा करने वाली याचिका में उन्होंने कहा,

    'अगर जनता से वसूले गए राजस्व से एनजीओ को सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है तो सूचना मांगना और सवाल उठाना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है।'

    उन्होंने दावा किया कि नागपुर पुलिस उन पर पेश होने का दबाव बना रही थी, जिससे उनका काम प्रभावित हो रहा था।

    उन्होंने कहा है कि एपीआई (ट्रैफिक) उनके खिलाफ कोई जांच कराने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं है और ऐसा उनके मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिए किया जा रहा है।

    उन्होंने कहा कि सिंह ने पिछले साल मार्च में उच्च न्यायालय जाने का इरादा किया था, लेकिन तकनीकी कारणों से नहीं जा पाए थे। वह अंततः दिसंबर, 2022 में याचिका दायर करने में सफल रहे।

    हाईकोर्ट इस याचिका पर अगली सुनवाई 24 जनवरी को करेगा।


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