अधीनस्थ न्यायालय स्वयं अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता, केवल हाईकोर्ट का संदर्भ दे सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट ने दोहराया

LiveLaw News Network

23 March 2022 9:58 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट, दिल्ली

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दोहराया है कि अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court) स्वयं अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता, केवल हाईकोर्ट का संदर्भ दे सकता है।

    न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने नुसरत अली बनाम राज्य एंड अन्य, राजीव मित्तल बनाम संजय गोयल और नेविल ए मेहता बनाम संजय गोयल के साथ-साथ न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 10, 11 और 15(2) के प्रावधानों में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों पर भरोसा किया।

    याचिकाकर्ता ने अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 10 के साथ पठित धारा 12 और मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा जारी 6 अप्रैल, 2021 के नोटिस के तहत प्रतिवादी द्वारा दायर एक शिकायत को खारिज करने की मांग की थी कि अधिनियम के 10, 11, 12, 13, 14 और 15 के तहत ट्रायल कोर्ट कार्यवाही नहीं कर सकता है।

    अदालत ने कहा कि प्रतिवादी द्वारा याचिका पर दायर जवाब से यह स्पष्ट हो गया कि प्रतिवादी ने अवमानना की कार्यवाही के उस पहलू को चुनौती नहीं दी जो उच्च न्यायालय द्वारा शुरू की जानी चाहिए न कि अधीनस्थ अदालतों द्वारा।

    अदालत ने कहा,

    "इस प्रकार, अवमानना आवेदन में की गई प्रार्थना के मैरिट पर किसी भी अवलोकन के बिना, जो प्रतिवादी ने 2016 के सीसी नंबर 37676 के संबंध में ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर किया है, जिसके संबंध में प्रतिवादी के पास निस्संदेह कानून के अनुसार अधिकार हैं। याचिकाकर्ता द्वारा कथित तौर पर रखरखाव का भुगतान नहीं किया जा रहा है, अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 10 और 12 के तहत 2021 की शिकायत संख्या 609 में एमएम द्वारा जारी नोटिस दिनांक 06.04.2021 को खारिज किया जाता है।"

    कोर्ट ने कहा कि यदि निचली अदालत द्वारा हाईकोर्ट को संदर्भित किया जाता है तो नोटिस को रद्द करना किसी अवमानना कार्रवाई पर कोई टिप्पणी नहीं माना जाएगा।

    तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।

    केस का शीर्षक: आलोक कुमार तिवारी बनाम ममता

    प्रशस्ति पत्र: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 228

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:




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