राज्य यह सुनिश्चित करे कि कोई स्वास्थ्यकर्मी वेतन से वंचित न हो : कर्नाटक हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
24 April 2020 4:45 AM GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ़ और मान्यता प्राप्त समाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) को पुलिस सुरक्षा देने की नीति को सामने रखे। राज्य को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह सुनिश्चित करे कि किसी भी नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ़ और आशा कार्यकर्ताओं को उसके वेतन से वंचित नहीं होना पड़े।
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने कहा,
"यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि क्या सरकार की ऐसी कोई नीति है जिसके तहत सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सशस्त्र पुलिसकर्मी सुरक्षा के लिए दिया जा सके। राज्य को यह बताना होगा कि वह इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या करना चाहती है। इसका कारण यह है कि COVID-19 महामारी को देखते हुए डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ़ और आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा का महत्व काफ़ी बढ़ गया है। राज्य को इस वर्ग के नागरिकों की सुरक्षा के लिए ऐसी नीतियों का खुलासा करना चाहिए जो पूरे राज्य में लागू हों…।"
अदालत ने डॉक्टर राजीव रमेश गोठे की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। अदालत को 19 अप्रैल को पडरायनपुरा, बेंगलुरु में हुई घटना के बारे में बताया गया। इस घटना में जिस व्यक्ति को क्वारंटाइन में रखा जाना था उसने डॉक्टर सहित स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिस पर हमला कर दिया।
पीठ ने कहा,
"राज्य सरकार को इस बात का जवाब देना होगा कि निजी अस्पतालों और क्लिनिकों को पीपीई किट क़ीमत लेकर उपलब्ध कराया जा सकता है कि नहीं। यह कि पीपीई किट राज्य भर के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ़ के पास पहुंचा है कि नहीं और मास्क और हैंड-ग्लव्ज़ पूरे राज्य में मौजूद ज़मीनी स्तर की स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अन्य स्थानों पर उपलब्ध है कि नहीं।"
राज्य सरकार को 28 अप्रैल को इसका जवाब अदालत में पेश करना है।