सेशन कोर्ट ने गुड़गांव घरेलू कामगार दुर्व्यवहार मामले में तस्करी का अतिरिक्त आरोप तय किए

LiveLaw News Network

12 Jan 2022 6:15 AM GMT

  • सेशन कोर्ट ने गुड़गांव घरेलू कामगार दुर्व्यवहार मामले में तस्करी का अतिरिक्त आरोप तय किए

    सेशन कोर्ट ने हरियाणा के गुड़गांव में एक घरेलू कामगार के साथ दुर्व्यवहार के एक मामले में पीड़िता द्वारा दायर एक आवेदन को स्वीकार कर लिया। इसमें आरोपी के खिलाफ तस्करी का अतिरिक्त आरोप तय करने की मांग की गई थी।

    मामला तब सुर्खियों में आया जब 2015 में एक युवा महिला घरेलू कामगार को गुड़गांव पुलिस ने अपने नियोक्ताओं के घर में बेहोशी की हालत में पाया था।

    आरोपी दंपति पर शुरू में गलत तरीके से बंधक बनाने, गैरकानूनी अनिवार्य श्रम, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने, आपराधिक धमकी, एक किशोर के साथ क्रूरता, किशोर के शोषण और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया गया।

    2019 में शिकायतकर्ता ने अपने वकील अधिवक्ता इंदिरा उन्नीनायर के माध्यम से तस्करी के अपराध (आईपीसी की धारा 370) और स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों (आईपीसी की धारा 324) से चोट पहुंचाने के अतिरिक्त आरोप तय करने की मांग की थी।

    सीआरपीसी की धारा 216 में प्रावधान है कि कोई अदालत फैसला सुनाए जाने से पहले किसी भी समय किसी भी आरोप को बदल या जोड़ सकती है।

    ट्रायल कोर्ट ने आंशिक रूप से सीआरपीसी की धारा 216 के तहत आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 370 जोड़ने की अनुमति दी।

    कोर्ट ने दर्ज किया गया:

    "चूंकि आवेदक झारखंड की निवासी है और किसी कंपनी (घरेलू सहायता एजेंसी) से आरोपी द्वारा प्राप्त किया गया है। उसे आरोपी द्वारा पीटा गया, उचित भोजन नहीं दिया गया और बंधक बनाया गया। इसलिए आईपीसी की धारा 370 के तहत प्रथम दृष्टया अपराध आरोपी के खिलाफ बनाए गए है। इस संबंध में आरोप में संशोधन की जरूरत है।"

    यदि अभियुक्त अवैध व्यापार के आरोप में दोषी पाए जाते हैं तो कम से कम दस साल की सजा दी जाएगी, जो आजीवन कारावास और जुर्माना तक हो सकती है, क्योंकि शिकायतकर्ता नाबालिग थी।

    हालांकि, कोर्ट की राय थी कि आईपीसी की धारा 324 के तहत आरोपी को चार्जशीट करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं, क्योंकि घायल पीड़िता को खतरनाक हथियार या साधनों से कोई चोट नहीं पहुंचाई गई।

    मामले की सुनवाई 18 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई।

    जस्टिस डॉ डीएन भारद्वाज, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, सत्र न्यायालय, गुरुग्राम जिला न्यायालयों द्वारा यह आदेश पारित किया गया।

    केस शीर्षक: राज्य बनाम सागर जैन और अन्य।

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