केंद्र ने केरल हाईकोर्ट में कहा, किसी एक ही राज्य के लोगों को विदेश से लाने पर विचार नहीं किया जा सकता

LiveLaw News Network

19 April 2020 5:00 AM GMT

  • केंद्र ने केरल हाईकोर्ट में कहा, किसी एक ही राज्य के लोगों को विदेश से लाने पर विचार नहीं किया जा सकता

    Kerala High Court

    COVID-19 महामारी को देखते हुए विदेश से किसी एक राज्य के लोगों को लाने के बारे में ग़ौर नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार ने केरल हाईकोर्ट से यह कहा।

    न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन और न्यायमूर्ति टीआर रवि एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें खाड़ी सहयोग परिषद के देशों में अटके केरल के लोगों को भारत वापस लाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था।

    याचिकाकर्ता ने खाड़ी के देशों में अटके लोगों के लिए विशेष रियायत की मांग की थी क्योंकि केरल ने इन लोगों को वापस लाने की इच्छा जतायी है क्योंकि उसके पास इन लोगों को क्वारंटाइन में रखने की बेहतर व्यवस्था है।

    इसके जवाब में केंद्र सरकार के वक़ील (सीजीसी) सुविन मेनन ने कहा कि विदेश से भारतीय लोगों को वापस लाने को लेकर राज्यों में नीतिगत आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।

    सीजीसी ने कहा कि केंद्र ने एक नीतिगत निर्णय लिया है कि वह COVID-19 संक्रमण वाले देशों से अपने लोगों को अभी वापस नहीं लाएगा। ऐसा संक्रमण को न्यूनतम रखने के लिए किया जा रहा है।

    अदालत को बताया गया कि केंद्र सरकार ने विदेशों में स्थिति भारतीय मिशनों में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया है जिन पर उन देशों में भारतीयों की देखभाल ज़िम्मेदारी है। खाड़ी के देशों ने अटके पड़े भारतीयों की वीज़ा अवधि को 31 मई तक बढ़ा दिया है।

    सीजीसी ने यह भी कहा कि इसी तरह की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सांसद एमके राघवन ने दायर की थी जिस पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह के लिए मुल्तवी कर दिया है।

    हाईकोर्ट ने इस याचिका पर 11 अप्रैल को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। यह याचिका इब्राहिम एलेमत्तिल ने दायर की है जो केरल मुस्लिम सांस्कृतिक केंद्र, दुबई का अध्यक्ष है। याचिकाकर्ता की पैरवी हरीश बीरन ने किया जिन्होंने न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और शाजी पी चाली को कहा था कि एमिरेट्स एयरलाइंस भारतीयों को वापस लाने के लिए फ़्लाइट ऑपरेट करने के लिए तैयार है।

    कुछ और लोगों ने भी इस बारे में याचिका दायर की थी और उनकी भी मांग यही थी। पीठ अब इस मामले की सुनवाई 22 अप्रैल को करेगी।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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