राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य महिला आयोग में रिक्त पदों को लेकर दायर अवमानना याचिका पर राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

20 Jan 2022 7:06 AM GMT

  • राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य महिला आयोग में रिक्त पदों को लेकर दायर अवमानना याचिका पर राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया

    राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को राजस्थान राज्य महिला आयोग में रिक्त पदों के संबंध में दायर एक अवमानना ​​याचिका पर राज्य के मुख्य सचिव और महिला एवं बाल विकास राज्य विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी किया।

    जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस विनोद कुमार भरवानी की पीठ सोशल एक्टिविस्ट ईश्वर प्रसाद खंडेलवाल द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया कि राज्य सरकार ने राज्य में महिला आयोग बोर्ड के गठन के लिए कोई कदम नहीं उठाया। इसके बावजूद कि इस संबंध में न्यायालय के समक्ष आश्वासन दिया गया था।

    अवमानना ​​याचिका

    याचिकाकर्ता ने वर्ष 2021 में दायर जनहित याचिका में अवमानना ​​याचिका दायर की है। इसमें सरकार ने हाईकोर्ट (28 सितंबर, 2021) के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह दो महीने की अवधि के लिए राजस्थान राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करेगी।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि राज्य के इस प्रस्तुतीकरण को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने 28 सितंबर, 2021 में आयोग में पदों को भरने के लिए दायर रिट याचिका को इस प्रकार देखते हुए निपटाया:

    "तदनुसार, रिट याचिकाओं का निपटारा राज्य सरकार को निर्देश के साथ किया जाता है कि अधिनियम की धारा 3 के प्रावधान के अनुसार राजस्थान राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को किसी भी मामले में दो की अवधि महीने की अवधि के भीतर शीघ्रता से नियुक्त किया जाए।"

    इस पृष्ठभूमि के खिलाफ यह मानते हुए कि तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है और प्रतिवादी अदालत द्वारा पारित निर्देश का पालन करने में विफल रहे हैं, याचिकाकर्ता ने वर्तमान अवमानना ​​​​याचिका दायर की:

    "न केवल इस माननीय न्यायालय द्वारा पारित निर्देश उपरोक्त प्रतिवादियों द्वारा अवज्ञा कर रहा है, बल्कि वे राजस्थान राज्य महिला आयोग 1999 की धारा 3 का उल्लंघन कर रहे हैं। साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 (3) का भी उल्लंघन कर रहे हैं, जिसमें महिलाओं और बच्चों को विशेष रूप से संरक्षित किया जाता है। अब इस मामले में प्रतिवादी की अनिच्छा के कारण राजस्थान राज्य की महिलाओं को अपनी समस्या को उठाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, इसलिए राज्य महिला आयोग में सदस्यों का होना जरूरी है।

    इसलिए, याचिका में आगे कहा गया कि बोर्ड का शीघ्र गठन और जनहित में राज्य में महिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति आवश्यक है।

    इसके अलावा, यह आरोप लगाना कि प्रतिवादी द्वारा अवमानना ​​की गई है। अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 2(बी) में याचिका दायर की गई है।

    कोर्ट ने 22 फरवरी तक जवाब दाखिल करने का कहते हुए नोटिस जारी किया।

    केस का शीर्षक - ईश्वर प्रसाद खंडेलवाल बनाम निरंजन कुमार आर्य और अन्य

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