इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की स्वीकार्यता और सबूत ट्रायल कोर्ट द्वारा अंतिम निर्णय के वक्त निर्धारित किये जायेंगे : दिल्ली हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
12 Feb 2020 2:00 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत दायर शपथ पत्र दस्तावेज के तौर पर व्यवहार लायक नहीं माना जाता है और उसे 'एक्जामिनेशन-इन चीफ' की गवाहों की जांच के साथ पेश किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की एकल पीठ ने कहा है कि इस बात का निर्धारण ट्रायल कोर्ट मुकदमे के अंतिम चरण में करेगा कि क्या धारा 65बी के तहत शपथ पत्र (जो इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य है) कानून के दायरे में सही है या नही।
मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता ने ट्रायल कोर्ट के 19 जुलाई 2018 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें धारा 65बी के तहत शपथ पत्र को रिकॉर्ड पर लिया गया था और मुख्य साक्ष्य का हिस्सा माना गया था।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि यद्यपि वे उन ईमेल संदेशों के आदान-प्रदान का विरोध नहीं कर रहे थे, लेकिन ऐसे ईमेल संदेशों की विषय वस्तु और भेजने वाले व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र का मसला जरूर जुड़ा था।
ट्रायल कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए एकल पीठ ने कहा कि सबूत के साधन और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की स्वीकार्यता के प्रश्न का निर्धारण धारा 65बी के तहत दायर शपथ पत्र, दस्तावेज और पार्टियों द्वारा रखे गये समग्र साक्ष्यों पर विचार करने के बाद ही होगा।
इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट अभिषेक मुद्गल ने पैरवी की।
प्रतिवादी की ओर से एडवोकेट गगन गांधी, मोहित कौशिक और नमनदीप सिंह ने पक्ष रखा।
आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें