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PSU को पर्यावरण नियमों को मानने के बारे में आदर्श उपस्थित करना चाहिए; NGT ने IOCL की पानीपत रिफ़ाइनरी पर ₹17.31 करोड़ का जुर्माना लगाया [आर्डर पढ़े]

Live Law Hindi
17 May 2019 8:20 AM GMT
PSU को पर्यावरण नियमों को मानने के बारे में आदर्श उपस्थित करना चाहिए; NGT ने IOCL की पानीपत रिफ़ाइनरी पर ₹17.31 करोड़ का जुर्माना लगाया [आर्डर पढ़े]
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने इंडियन ऑयल कॉर्परेशन (आईओसीएल) की पानीपत रिफ़ाइनरी पर पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में ₹17.31 करोड़ का जुर्माना लगाया है।

यह निर्णय NGT की पीठ ने लिया जिसमें उसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल, एसपी वांगडी, के रामकृष्णन और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. नगिन नंदा ने लिया। पीठ ने कहा कि जुर्माने की इस राशि का प्रयोग पर्यावरण को हुएनुक़सान की क्षतिपूर्ति के लिए होगा।

पृष्ठभूमि

आरोप यह था कि पानीपत रिफ़ाइनरी की वजह से जल प्रदूषण हो रहा है जिसकी वजह से आसपास के लोग बीमार पड़ रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), हरियाणा राज्य प्रदूषण बोर्ड (HSPCB) और पानीपतके उपायुक्त की संयुक्त समिति ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट 15 जनवरी 2019 को दी थी।

समिति के निष्कर्ष

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उन्होंने पानीपत रिफ़ाइनरी के एफलुएंट ट्रीटमेंट प्लांट से जो सैम्पल उठाया उससे पता चलता है कि संयंत्र में पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन हो रहा है।

समिति ने कहा था, "…बिना साफ़ किए हुए एफलुएंट को इस क्षेत्र के ग्रीन बेल्ट में बहाने की बात सामने आई है। यह इकाई गंदे पानी को साफ़ करने और फिर उस साफ़ पानी को इस क्षेत्र में नहीं छोड़ रहा था। ETP कोसक्षमता से नहीं चलाया जा रहा था और यह पर्याप्त भी नहीं था। बिना साफ़ किया हुआ पानी खुले रूप से रखा जाता है और इसमें VOC रिकवरी प्रणाली का प्रयोग भी नहीं किया जाता।"

9 मई 2019 को संयुक्त समिति ने इस वजह से ₹17.31 करोड़ के नुक़सान का अनुमान लगाया और कहा कि इस राशि का प्रयोग जंगल लगाने और भूमिगत जल को बहाल करने के लिए किया जाएगा।

समिति ने यह भी कहा कि आम लोगों को इस वजह से कितना नुक़सान हुआ इसके आकलन की रिपोर्ट अगले तीन महीने के भीतर पेश की जाएगी।

आदेश

अधिकरण ने कहा,

"सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम से यह उम्मीद की जाती है कि पर्यावरण के नियमों को मानने में आदर्श उपस्थित करेगा। जो नुक़सान हुआ है उसके लिए देनदारी से बचा नहीं जा सकता।

हमने पाया है कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि प्रतिवादी नम्बर 1 ने पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन हुआ है। इस जाँच को अधिकरण के निर्देश में CPCB, HSPCB ने अंजाम दिया है …"।

अधिकरण ने आगे कहा, '…समिति ने ₹17.31 करोड़ के राहत के भुगतान की बात कही है. इस बारे में अंतिम आकलन होना बाक़ी है। अगर प्रतिवादी नम्बर 1 जुर्माने की राशि को सही नहीं मानता तो वह उसे अगलीतारीख़ पर चुनौती दे सकता है पर उसे यह अंतरिम राशि जमा करनी ही होगी"।

इस तरह, अधिकरण ने कम्पनी से कहा कि वह यह राशि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करा दे।


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