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दिल्ली हाईकोर्ट ने COVID 19 रैपिड जांच की एक किट की क़ीमत आईसीएमआर के रेट 40% कम निर्धारित की

वितरक और आयातक के बीच विवाद के तहत दिल्ली हाईकोर्ट ने COVID 19 के लिए रैपिड टेस्ट किट की क़ीमत ₹400 प्रति किट निर्धारित की है, जो आईसीएमआर के निर्धारित रेट से 40% कम है ।
अदालत ने कहा कि इस तरह के किट पर 61% मुनाफ़ा कमाना कुछ ज़्यादा है। न्यायमूर्ति नज़्मी वजीरी की एकल पीठ ने रैपिड टेस्ट किट की क़ीमत ₹600 से घटाकर ₹400 प्रति किट कर दी।
अदालत ने कहा,
"अदालत का मानना है कि किट की ख़रीद क़ीमत ₹245 रुपए है उस पर 61% का मुनाफ़ा लेना ज़्यादा मुनाफ़ा कमाना है और यह विक्रेता के लिए पर्याप्त से भी अधिक है…आम लोगों का हित निजी हित के ऊपर हैं…इस किट/जांच जीएसटी सहित ₹400 में उपलब्ध होनी चाहिए।"
इस मामले में याचिका रेयर मेटबोलिक्स ने दायर की थी जो मेट्रिक्स लैब्ज़ (प्रतिवादी) के चीन से आयात होने वाले COVID 19 टेस्ट किट का एकमात्र वितरक है। दोनों के बीच आयातित किट की आपूर्ति नहीं होने के मुद्दे पर विवाद हुआ। मेट्रिक्स लैब ने पहले भुगतान पर ज़ोर दिया जबकि वितरक का कहना था कि आईसीएमआर जब उसको पैसा देगा तभी वह भुगतान करेगा।
दोनों ही पक्ष इस टेस्ट किट को ₹400 पर बेचने पर राज़ी हो गए जो कि आईसीएमआर ने जो इसकी क़ीमत (₹600) निर्धारित की थी उससे 40% कम है।
अदालत ने कहा,
"याचिकाकर्ता के वकील जयंत मेहता देश के हित में इस मामले को आगे नहीं ले जाने पर राज़ी हो गए हैं और वह इसके अलावा किसी भी अन्य दावे की बात को आगे नहीं बढ़ाएंगे, अगर इसका आयातक इसके लिए जीएसटी सहित ₹400 से अधिक क़ीमत नहीं लेने पर राज़ी हो गया। दोनों पक्ष इस बात से सहमत हैं कि आम हित ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हैं और लोगों को यह किट कम से कम क़ीमत पर मिलना चाहिए…।"
अदालत ने इस मामले में निम्नलिखित आदेश जारी किये -
a. भारत में आने के तुरंत बाद 2.24 लाख टेस्ट आईसीएमआर को भेजे जाने चाहिए।
b. इसकी क़ीमत जो प्रतिवादी-आयातक को चुकाई जानी है वह कुल ₹21 करोड़ होती है। प्रतिवादी को ₹12.75 करोड़ रुपए दिया जा चुके हैं और शेष ₹8.25 करोड़ आईसीएमआर से फंड मिलने पर 24 घंटे के भीतर प्रतिवादी के बैंक खाते में भेज दी जाएगी।
अदालत ने कहा कि अन्य 5 लाख किट में से 50,000 तमिलनाडु को भेजे जाएंगे जबकि शेष 450,000 प्रतिवादी के पास उपलब्ध होंगे जो सीधे सरकार या सरकार की एजेंसी को भेजे जाएंगे या फिर किसी निजी एजेंसी को जिसे यह जांच करने की अनुमति दी गई है।
एडवोकेट जयंत महेता और अंशुमन साहनी ने याचिककर्ता की पैरवी की जबकि अमिताभ चतुर्वेदी, जीवेश नागरथ, संगीत मोहन और चंदन दत्ता ने प्रतिवादी की।