ईडब्ल्यूएस वर्ग के छात्रों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा के लिए लैपटॉप/टैब्लेट्स और हाई स्पीड इंटरनेट दिए जाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

LiveLaw News Network

27 April 2020 3:00 AM GMT

  • ईडब्ल्यूएस वर्ग के छात्रों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा के लिए लैपटॉप/टैब्लेट्स और हाई स्पीड इंटरनेट दिए जाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

    दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर अदलत से आग्रह किया गया है कि वह दिल्ली सरकार को आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्रों को ऑनलाइन क्लास का लाभ उठाने में मदद करने के लिए उन्हें लैपटॉप/टैबलेट्स और हाई स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराने का निर्देश दे।

    जस्टिस फ़ॉर ऑल नामक एक एनजीओ की याचिका में ऑनलाइन क्लास का लाभ उठाने में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग और कमज़ोर वर्ग (डीजी) को जो मुश्किलें पेश आ रही हैं, उन्हें दूर करने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांंग अदालत से की गई है।

    शिक्षा का अधिकार की धारा 3(2) का उल्लेख करते हुए याचिका में कहा गया है -

    "प्रतिवादियों का यह कर्तव्य है कि वे आर्थिक रूप से कमज़ोर और समाज के कमज़ोर वर्ग़ों के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने में किसी भी तरह की बाधा नहीं आने दे। जिन बच्चों के पास सारे उपकरण हैं वे तो शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं पर जिनके पास ये साधन नहीं हैं वे ख़ाली बैठे हैं क्योंकि इनके नहीं होने की वजह से वे शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह रहे हैं।"

    याचिकाकर्ता का कहना है कि सीबीएसई और एमएचआरडी ने जो सर्कुलर जारी किया है उसमें ऑनलाइन शिक्षा की प्रशंसा की गई है पर इस बात को भुला दिया गया है कि ऐसे भी बच्चे हैं जिनका परिवार उन्हें इसके लिए ज़रूरी उपकरण नहीं दे सकता कि वे ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर सकें।

    यह कहा गया है कि आरटीई अधिनियम की धारा 7c के तहत यह सरकार का दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करे कि कमज़ोर वर्ग के छात्रों के साथ कोई भेदभाव नहीं हो जिससे उनके लिए प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करना मुश्किल हो जाए। इस अधिनयम की धारा 7d के तहत यह सरकार का कर्तव्य है कि वह इस वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में मददकारी उचित उपकरण और बुनियादी सुविधाएँ उपलध कराए।

    हालाँकि आरटीई नियमों में लैपटॉप और टैबलेट देने की बात नहीं है पर याचिकाकर्ता का कहना है कि COVID-19 के कारण जो विशेष परिस्थिति बनी है उसको देखते हुए इस पर विचार करना चाहिए।

    इसी आलोक में याचिकाकर्ता चाहता है कि अदालत दिल्ली सरकार को आरटीई अधिनियम के तहत अपने कर्तव्यों के निर्वाह कि लिए कहा जाए और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के रास्ते में आनेवाली सभी बाधाओं को वह हटाए।

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