मस्जिदों में लाउड-स्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका: गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
16 Feb 2022 10:13 AM IST
गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने गुजरात सरकार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर नोटिस जारी किया।
याचिका में कोर्ट से राज्य सरकार को पूरे राज्य में मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए उचित उपाय करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री की पीठ ने गांधीनगर जिले में अपना क्लिनिक चलाने वाले डॉक्टर धर्मेंद्र विष्णुभाई प्रजापति की याचिका पर नोटिस जारी किया है।
याचिका में कहा गया है कि गांधीनगर जिले में मुस्लिम समुदाय के लोग लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हुए मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं और इससे आसपास के निवासियों को काफी असुविधा और परेशानी होती है।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया है कि COVID की वर्तमान स्थिति के कारण व्यक्तियों को घूमने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप, समुदाय के व्यक्ति उक्त मस्जिद में नमाज करने के लिए नहीं आ रहे हैं। हालांकि, वे नमाज के समय लाउडस्पीकर का उपयोग कर रहे हैं जो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मई 2020 के फैसले का भी उल्लेख किया है जिसमें अदालत ने कहा था कि अज़ान निश्चित रूप से इस्लाम का एक अनिवार्य और अभिन्न अंग है, लेकिन माइक्रोफोन और लाउड-स्पीकर का उपयोग एक आवश्यक और अभिन्न अंग नहीं है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने राज्य के अधिकारियों को लिखित शिकायत की थी। हालांकि, उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई और इसलिए, याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय का रूख करना पड़ा।
न्याय के हित में उचित आदेश और निर्देश की मांग करते हुए याचिकाकर्ता ने इस प्रकार कहा है,
"सुबह से रात तक अलग-अलग समय पर मस्जिद में कुल पांच नमाज़ें अदा की जाती है, यानी सुबह 05:00 बजे, सुबह 11:00 बजे, दोपहर 02:00, शाम 07:00 बजे और 09:00 बजे और नमाज पढ़ते समय लाउडस्पीकर का प्रयोग करते हैं, जिससे आस-पास के निवासियों को बहुत असुविधा और परेशानी होती है। लाउडस्पीकर की आवाज सुनाई देती है।"
अंत में प्रस्तुत किया गया कि लाउडस्पीकर की आवाज बड़े पैमाने पर जनता के लिए बहुत व्यस्त और असहनीय है, जो कई गंभीर मानसिक बीमारियों, वृद्ध व्यक्तियों और छोटे बच्चों सहित शारीरिक समस्याओं का कारण बनती है। यह जनता के लिए बड़े पैमाने पर कार्य कुशलता को भी प्रभावित करेगी। यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।
कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए इस पर 10 मार्च तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
केस का शीर्षक - धर्मेंद्र विष्णुभाई प्रजापति बनाम गुजरात राज्य एंड अन्य