प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद स्मारकों की 'दयनीय स्थिति' पर जनहित याचिका: पटना हाईकोर्ट ने निरीक्षण का निर्देश देते हुए केंद्र और बिहार सरकार से जवाब मांगा

LiveLaw News Network

27 Dec 2021 8:38 AM GMT

  • प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद स्मारकों की दयनीय स्थिति पर जनहित याचिका: पटना हाईकोर्ट ने निरीक्षण का निर्देश देते हुए केंद्र और बिहार सरकार से जवाब मांगा

    पटना हाईकोर्ट ने बिहार के तीन अलग-अलग स्थानों पर स्थित भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय स्थिति को उजागर करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका पर सुनवाई की। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा।

    चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने स्मारकों का दौरा करने, बुनियादी ढांचे और मामलों की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए स्थानीय आयुक्तों की एक टीम नियुक्त की। साथ ही सुझाव दिया कि तीनों स्थानों पर स्मारक कैसे सर्वोत्तम हो सकते हैं और बुनियादी ढांचे में कितना सुधार हुआ है, इस बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा।

    हाईकोर्ट विकास कुमार द्वारा डॉ. राजेंद्र प्रसार की स्मारकों की दयनीय स्थिति पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में डॉ. प्रसाद से संबंधित स्मारकों में उनका गांव जीरादेई, जिला, सीवान में; बंस घाट, पटना और सदाकत आश्रम, पटना में उनका अंतिम निवास स्थान की दयनीय स्थिति का उल्लेख किया गया है।

    हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका में जो कहा गया है उसे उजागर करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह केवल हम सभी को शर्मिंदा करेगा। यह बहुत शर्म और अपराध बोध की बात है।

    इसके साथ ही कोर्ट ने निम्नलिखित व्यक्तियों की एक टीम को स्थानीय आयुक्तों के रूप में नियुक्त किया: -

    (i) निवेदिता निर्विकर, वरिष्ठ अधिवक्ता;

    (ii) शंभू शरण सिंह, अधिवक्ता; तथा

    (iii) संजीव कुमार, अधिवक्ता।

    तीन सदस्यों की यह टीम प्रथम राष्ट्रपति से संबंधित उपर्युक्त स्मारकों का दौरा करेंगे, स्मारकों की वास्तविक स्थिति का पता लगाएं और दो दिनों के भीतर अपने सुझाव देंगे।

    कोर्ट ने सीवान और पटना के जिलाधिकारियों को भी स्थानीय आयुक्तों को हरसंभव मदद देने का निर्देश दिया।

    लाइव लॉ से बात करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता निवेदिता निर्विकर ने पुष्टि की कि टीम ने हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार उपरोक्त स्थानों का दौरा करेगी। टीम सुनवाई की अगली तारीख यानी तीन जनवरी, 2022 को अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

    डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में

    महादेव सहाय के पुत्र डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म तीन दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान के ज़रादेई में हुआ था। जुलाई 1946 में भारत के संविधान को बनाने के लिए संविधान सभा की स्थापना की गई तो वे इसके अध्यक्ष चुने गए।

    आजादी के ढाई साल बाद 26 जनवरी, 1950 को स्वतंत्र भारत के संविधान की पुष्टि हुई और वे देश के पहले राष्ट्रपति चुने गए। राष्ट्रपति के रूप में दो पांच वर्षीय कार्यकालों के 12 वर्षों के बाद 1962 में डॉ प्रसाद सेवानिवृत्त हुए। बाद में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। (स्रोत: https://siwan.nic.in/dr-rajendra-prasad/)।

    डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने जीवन के अंतिम कुछ महीने पटना के सदाकत आश्रम में सेवानिवृत्ति में बिताए।

    केस का शीर्षक - विकास कुमार बनाम भारत संघ और अन्य।

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