भवन निर्माण श्रमिकों के फंड के कथित दुरुपयोग के ख़िलाफ़ सीबीआई जांच की मांग के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

LiveLaw News Network

10 Jun 2020 2:45 AM GMT

  • भवन निर्माण श्रमिकों के फंड के कथित दुरुपयोग के ख़िलाफ़ सीबीआई जांच की मांग के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

    दिल्ली हाईकोर्ट में एक एनजीओ ने एक जनहित याचिका दायर कर करोड़ों के फंड के कथित दुरुपयोग का आरोप लगाया है। यह फंड विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी के पंजीकृत भवन निर्माण श्रमिकों के लिए है।

    यह याचिका पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति संस्थान (पीडीयूएसएस) नामक एनजीओ ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि इस मद में ₹3200 करोड़ जमा है।

    इस फंड का प्रबंधन दिल्ली भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड (डीबीओसीडब्ल्यू) करता है जिसका नेतृत्व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली का श्रम मंत्री करता है।

    वक़ील आर बालाजी और योगेश पचौरी के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि COVI महामारी के दौरान दिल्ली की सरकार ने घोषणा की थी कि लॉकडाउन के दौरान निर्माण श्रमिकों को हर माह ₹5000 दिए जाएँगे।

    पीआईएल में कहा गया है,

    "जब एनजीओ के स्वयंसेवकों ने प्रवासी श्रमिकों से इस राहत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उनमें से किसी को भी इस तरह की राहत नहीं दी गई है और यहां तक कि वे अपनी इस अधिकार के बारे में जानते भी नहीं हैं और न ही यह कि उन्हें इसमें पंजीकरण कराना है।"

    इस आधार पर इस एनजीओ ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। उसका कहना है कि इस फंड का दुरुपयोग हुआ है और कल्याण बोर्ड के दोषी आधिकारियों के ख़िलाफ़ जाँच की माँग की है। कहा गया है कि बोर्ड में फ़र्ज़ी पंजीकरण किया गया।

    याचिका में कहा गया है,

    "फ़र्ज़ी श्रमिकों में अधिकांश सिक्यरिटी गार्ड, ओला-उबर टैक्सी ड्राइवर, फ़ैक्ट्री और दुकान में काम करनेवाले, ऑटो और टैक्सी ड्राइवर, हाउस वाइफ़, नौकरानी, दर्ज़ी और नाई जैसे लोग हैं। यह बहुत ही अफ़सोस की बात है कि इस तरह की अनियमितता और लूट दिल्ली भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड (डीबीओसीडब्ल्यो) में हो रहा है, जिसका नेतृत्व दिल्ली राज्य के श्रम मंत्री कर रहे हैं जो इस बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं।"

    याचिका के अनुसार, ये फ़र्ज़ी पंजीकरण 80-90 उन श्रमिक संगठनों के सुझाव पर किया गया है, जिनका पंजीकरण अभी 4-5 साल पहले हुआ है। ये श्रमिक संगठन हर फ़र्ज़ी पंजीकरण के लिए ₹500-1000 लेते हैं और ऐसा आईसीएसआईएल ओखला, नई दिल्ली के 150 आउटसोर्स्ड कर्मियों के माध्यम से किया गया है जिनको दिल्ली के निर्माण बोर्ड ने नियुक्त किया है।

    सोमवार को यह मामला वीके राव की एकल पीठ के समक्ष सूचित किया गया जिसे अब 16 जून को अगली सुनवाई के लिए एक खंडपीठ को सौंप दिया गया है।

    Next Story