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आईपीसी की धारा 397 के तहत सज़ा देने के लिए पेपर कटर घातक हथियार : दिल्ली हाईकोर्ट

LiveLaw News Network
5 Feb 2020 9:21 AM GMT
आईपीसी की धारा 397 के तहत सज़ा देने के लिए पेपर कटर घातक हथियार : दिल्ली हाईकोर्ट
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दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि हत्या के प्रयास के साथ लूट की घटना को अंजाम देने के मामले में सज़ा देने के उद्देश्य से एक पेपर-कटर को 'घातक हथियार' माना जाएगा। एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पेपर कटर को घातक हथियार होने में सक्षम माना।

न्यायमूर्ति विभु बाखरू की एकल पीठ ने कहा है कि शरीर के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर पेपर-कटर से गहरा कट वास्तव में घातक साबित हो सकता है। -

पीठ ने कहा कि

'हालांकि यह कागज काटने के एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए है, लेकिन इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि इसका ब्लेड बहुत तेज़ है और घातक चोट पहुंचाने में सक्षम है।'

वर्तमान अपील में, अपीलकर्ता ने धारा 397 के तहत दोषी दिए जाने के साथ-साथ 7 साल के सश्रम कारावास की सजा के आदेश को भी चुनौती दी थी। अभियोजन पक्ष द्वारा स्थापित तथ्यों के अनुसार, अपीलकर्ता ने पीड़ित का मोबाइल फोन लूटने के लिए पेपर-कटर का इस्तेमाल किया था।

अपीलकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि एक पेपर कटर एक घातक हथियार नहीं है और इसलिए, भले ही यह स्वीकार कर लिया जाए कि अपीलकर्ता ने शिकायतकर्ता को लूटने के उद्देश्यों से इसे अपने पास रखा था, फिर भी आईपीसी की धारा 397 के तहत अपराध स्थापित नहीं होता है।

उन्होंने आगे कहा कि पेपर कटर की चाकू से बराबरी नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह एक स्टेशनरी आइटम है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि पेपर कटर का ब्लेड मजबूत नहीं होता है और आमतौर पर किसी भी प्रतिरोध के कारण टूट जाता है।

उन्होंने 'बिशन बनाम राज्य (1984)' मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह कहा गया था कि सब्जी वाले चाकू को घातक हथियार नहीं माना जा सकता है।

शुरुआत में, अदालत ने कहा था कि जिस प्रश्न पर निर्णय लेने की आवश्यकता है, वह यह है कि क्या चाकू आईपीसी की धारा 397 के सजा देने के लिए एक घातक हथियार के रूप में योग्य है?

अदालत ने कहा कि ऐसे बहुत सारे मामले है जो इस दृष्टिकोण का अनुसरण करते हैं कि क्या चाकू एक घातक हथियार है। इस सवाल का जवाब विभिन्न कारकों द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए, जिसमें चाकू का डिजाइन और जिस तरह से इसका उपयोग किया गया है, वो भी शामिल होना चाहिए। हालांकि ऐसे मामलों की एक और पंक्ति थी जहां न्यायालय ने यह देखा था कि किसी भी विवरण का एक चाकू अभी भी, एक चाकू है और एक घातक हथियार है।

इस विषय के संबंध में दिए गए दिल्ली हाईकोर्ट के विभिन्न निर्णयों को देखने के बाद, अदालत ने कहा कि-

'एक पेपर कटर भी चाकू की एक प्रजाति है, जैसे कि इसमें एक हैंडल और एक ब्लेड है। हालांकि यह कागज काटने के एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए है, इस तथ्य से इनकार नहीं किया जाता है कि इसका ब्लेड बहुत तेज है और एक घातक चोट पहुंचाने में सक्षम है।'

चूंकि, वर्तमान मामले में, पेपर कटर को शिकायतकर्ता की गर्दन पर रखा गया था, इसलिए अदालत ने आईपीसी की धारा 397 के दायरे में 'घातक हथियार' होने के दावे को स्वीकार कर लिया गया। पीठ ने कहा कि-

'निर्विवाद रूप से, इस तरह के एक उपकरण को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है और एक पीड़ित की गर्दन पर रखा जाता है, जो चोट के डर से पीड़ित को आतंकित करने के लिए पर्याप्त होता है।'


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