OROP : देश की सेवा करने वाले पूर्व सैनिकों द्वारा उठाए गए मुद्दों या मामलों पर गंभीरता से किया जाए विचार,सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र से [आर्डर पढ़े]

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18 May 2019 3:34 PM GMT

  • OROP : देश की सेवा करने वाले पूर्व सैनिकों द्वारा उठाए गए मुद्दों या मामलों पर गंभीरता से किया जाए विचार,सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र से [आर्डर पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह वन रैंक वन पेंशन के मामले में सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों द्वारा उठाए गए मुद्दों या मामला पर गंभीरता से विचार करें।

    जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि-"यह उचित और न्याय के हित में होगा कि सशस्त्र बलों के उन कर्मियों की ओर से व्यक्त की गई चिंताए ,जिन्होंने सेवानिवृत्ति से पहले संघ के सदस्यों के रूप में देश की सेवा की है, पर केंद्र सरकार उचित स्तर पर गंभीरता से विचार करें।''
    भारतीय भूतपूर्व सैनिक आंदोलन (याचिकाकर्ताओं ) ने उस संशोधित परिभाषा को अपनाते हुए ओरआरपीओ को लागू करने के बारे में चिंता व्यक्त की थी,जिसके तहत वर्तमान और पिछले पेंशनरों की पेंशन की दरों के बीच की खाई को 'आवधिक अंतराल' पर समाप्त कर दिया जाएगा।
    नोट में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि ओआरपीओ की इस नई परिभाषा को लागू करने से ओआरपीओ का सिद्धांत ही पराजित हो जाएगा,क्योंकि इससे एक ही अधिकारी के एक वर्ग के भीतर
    दो
    वर्ग बन जायेंगे जो व्यवहार में वन रैंक डिफरेंट पेंशन के सामान होगाI उन्होंने निम्नलिखित दलील दी-
    -कैलेंडर वर्ष 2013 के अनुसार पेंशन का निर्धारण करने से वर्ष 2014 से पहले रिटायर हुए कर्मियों उन कर्मियों की तुलना में जो वर्ष 2014 के बाद रिटायर हुए है, एक वेतन वृद्धि की कम पेंशन मिलेगी।
    -न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के माध्य से पेंशन का निर्धारण-वर्ष 2013 के न्यूनतम और अधिकतम के माध्य से पेंशन तय करने के परिणामस्वरूप समान रैंक और सेवा की समान अवधि के लिए अलग-अलग पेंशन होगी और पहले रिटायर हो चुके कर्मियों को इस तरह के निर्धारण से 1.5 वेतन वृद्धि कम मिलेगी I
    -हर पांच साल में पेंशन समतुल्य होने के परिणामस्वरूप,पिछले या पहले रिटायर लोगों को गंभीर नुकसान होगा।
    मामले में अब इस याचिका पर अगस्त माह में सुनवाई होगी।
    पीठ ने कहा कि-
    "हमारा मानना है कि यह उचित होगा कि केंद्र सरकार उन शिकायतों पर विचार करती है जो उपरोक्त नोट में न्यायालय के समक्ष रखी गई है... हम सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह शिकायतों पर गंभीरता से विचार करे और यह निर्धारित करे कि किस हद तक, न्याय सभी संबंधितों की संतुष्टि के लिए प्रदान किया जा सकता है।''

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