"काम नहीं तो वेतन नहीं" के सिद्धांत को आज की असाधारण परिस्थिति में लागू नहीं किया जा सकता : बॉम्बे हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

16 May 2020 5:30 AM GMT

  • काम नहीं तो वेतन नहीं के सिद्धांत को आज की असाधारण परिस्थिति में लागू नहीं किया जा सकता : बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि "काम नहीं हो वेतन नहीं" का सिद्धांत वर्तमान समय में लागू नहीं हो सकता जब देश COVID-19 के कारण विशेष परिस्थिति से गुजर रहा है।

    औरंगाबाद पीठ के न्यायमूर्ति आरवी घुगे ने तुलजा भवानी मंदिर संस्थान को निर्देश दिया है कि ठेका मज़दूरों/श्रमिकों को मई 2020 तक पूरा वेतन दिया जाए।

    वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय श्रमिक अगाड़ी की याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। इस संघ के सदस्यों ने श्री तुलजापुर मंदिर संस्थान, तुलजापुर में सुरक्षा गार्ड और स्वास्थ्यकर्मियों के रूप में अपनी सेवाएं देने की इच्छा जतायी थी पर सभी धार्मिक स्थलों को बंद कर दिए जाने और लॉकडाउन की वजह से वे काम नहीं कर पा रहे हैं।

    अदालत ने कहा कि यद्यपि औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 और ठेका मज़दूर (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 से जुड़े कुछ मामले लातूर के सहायक श्रम आयुक्त के पास लंबित हैं, पर लॉकडाउन के कारण पर इस पर आगे की सुनवाई संभव नहीं है।

    याचिकाकर्ता के वक़ील एसपी शाह ने जनवरी और फ़रवरी में कर्मचारियों के सकल वेतन की सूची और ठेकेदारों ने उन कर्मचारियों को मार्च और अप्रैल, 2020 के लिए जो भुगतान किया था उसका विवरण सौंपा।

    शाह ने कहा कि ठेकेदारों ने मार्च का जो भुगतान किया वह सकल वेतन से कम है और अप्रैल का वेतन तो नाम मात्र का है।

    न्यायमूर्ति घुगे ने कहा,

    "यह अदालत COVID-19 के कारण फैली महामारी को नज़रंदाज़ नहीं कर सकती। स्वस्थ लोग जो अपनी तैनाती की वजह से ट्रस्ट के सिक्यरिटी और हाउसकीपिंग क्षेत्र में ठेका श्रमिक के रूप में और सेवाएं देने के लिए तैयार हैं, वे काम नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि पूरे देश में COVID-19 महामारी के कारण धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया गया है। यहां तक कि मूल नियोक्ता भी इस स्थिति में ऐसे कर्मचारियों को काम नहीं दे पा रहे हैं। प्रथम दृष्टया मुझे लगता है कि 'काम नहीं तो वेतन नहीं' का सिद्धांत आज की परिस्थिति में नहीं लागू नहीं किया जा सकता। अदालत इस तरह के कामगारों की मुश्किलों से अनजान बनकर बैठा नहीं रह सकती जो COVID-19 के कारण उनके सिर पर आ गिरी है।"

    अंततः अदालत ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया की वे दोनों ठेकेदारों को इस मामले में प्रतिवादी बनाएं और ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में ओसमानाबाद के ज़िला कलक्टर से कहा कि भोजन और कन्वेयन्स भत्ते के अलावा मार्च, अप्रैल और मई 2020 का वेतन संबंधित कर्मचारियों को ठेकेदार दें यह सुनिश्चित करें।

    अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 जून को होगी।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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