'आईपीसी की धारा 376 के तहत कोई अपराध नहीं': बॉम्बे हाईकोर्ट ने बिनॉय कोडियेरी के खिलाफ रेप केस रद्द किया, पार्टियों के बीच समझौता

Brij Nandan

7 Oct 2022 2:35 AM GMT

  • बिनॉय कोडियेरी

    बिनॉय कोडियेरी

    बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने माकपा के पूर्व सचिव कोडियेरी बालकृष्णन के बेटे बिनॉय कोडेयरी के खिलाफ रेप केस को सहमति से एफआईआर रद्द किया, जब कोर्ट को सूचित किया गया कि पार्टियां महिला और दंपति के बच्चे के लिए 80 लाख रुपये का समझौता कर चुकी हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    "एफआईआर के अवलोकन से प्रतीत होता है कि पक्ष 2009 से 2019 तक सहमति से संबंध में थे। इसे प्रतिवादी संख्या 2 (शिकायतकर्ता) ने अपने हलफनामे में भी स्वीकार किया है। इस प्रकार, भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत कोई अपराध नहीं कहा जा सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टियों ने अपने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है।"

    पिछले हफ्ते, जस्टिस आरपी मोहिते-डेरे और जस्टिस एसएम मोदक की उच्च न्यायालय की पीठ ने पार्टियों द्वारा सहमति की शर्तें प्रस्तुत करने के बाद और न्यायाधीशों को सूचित किए जाने के बाद कि 80 लाख रुपए की समझौता राशि में से 40 लाख रुपए का भुगतान पहले ही कर दिया गया है और शेष सुनवाई के समय 40 लाख का भुगतान किया जाएगा। दंपति का एक बच्चा भी है।

    शिकायतकर्ता अदालत में मौजूद थी और उसकी सहमति के बाद ही प्राथमिकी रद्द की गई। राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक संगीता शिंदे पेश हुईं, कोडेरी की ओर से वकील ऋषि भूटा पेश हुए।

    2019 की अपनी शिकायत में, महिला ने आरोप लगाया कि वह और कोडियेरी 2009 से एक रिश्ते में थे और उनका एक बच्चा भी था।

    महिला ने कहा कि दोनों की मुलाकात 2008 में दुबई में एक डांस बार में काम करने के दौरान हुई थी और उसे यकीन हो गया था कि वह उससे शादी करेगा। हालांकि, उसने यह जानने के बाद प्राथमिकी दर्ज कराई कि वह पहले से ही शादीशुदा है और उसने उसके और बच्चे के लिए भरण-पोषण देना बंद कर दिया।

    कोडेयरी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376 (2) (एन), 420, 504 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

    हालांकि, अदालत के समक्ष सहमति की शर्तों में, महिला ने अपने सभी बयान वापस ले लिए। उसने यह भी कहा कि उनका रिश्ता सहमति से था और जैसा कि वे नियमित रूप से एक-दूसरे से मिल रहे थे, उनके बीच एक अफेयर चल रहा था और जब रिश्ता तनावपूर्ण हो गया, तो उसने प्राथमिकी दर्ज की।

    जुलाई 2019 में, उच्च न्यायालय ने मुंबई में एक सत्र अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुसार बिनॉय को डीएनए टेस्ट के लिए अपने ब्लड सैंपल प्रदान करने का निर्देश दिया था। सत्र अदालत ने उसे गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी थी, लेकिन उसे डीएनए टेस्ट कराने का निर्देश दिया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह बच्चे का पिता है या नहीं।

    केस टाइटल: बिनॉय कोडियेरी बनाम महाराष्ट्र राज्य एंड अन्य।

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