Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान के 10 किलोमीटर के दायरे में किसी नई विकास गतिविधि की इजाज़त नहीं : कर्नाटक हाईकोर्ट

LiveLaw News Network
21 Jan 2020 4:05 AM GMT
बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान के 10 किलोमीटर के दायरे में किसी नई विकास गतिविधि की इजाज़त नहीं : कर्नाटक हाईकोर्ट
x

पिछले सप्ताह कर्नाटक हाईकोर्ट ने बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में किसी भी तरह की नई विकास गतिविधियों पर ईको-सेंसिटिव ज़ोन (ईएसज़ेड) के बारे में नयी ड्राफ़्ट सूचना की घोषणा तक के लिए रोक लगा दी है।

मुख्य न्यायाधीश अभय ओक और न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर ने बन्नेरघट्टा प्रकृति संरक्षण ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई के बाद यह अंतरिम आदेश जारी किया।

इस आदेश में कहा गया,

"इस मामले में अंतरिम राहत दी जा रही है, जिसकी माँग की गई है। हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि अंतरिम राहत आगे की तिथि से लागू होगा और इस उद्यान के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में पहले से जो वाणिज्यिक और विकास गतिविधियाँ चल रही हैं उन पर कोई इस आदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।"

याचिका में माँग की गई थी,

"2016 ड्राफ़्ट अधिसूचना को जारी करने में राज्य सरकार की ओर से हुई अनावश्यक देरी और निष्क्रियता की वजह से इस उद्यान और इसकी जैव विविधता के प्रबंधन, विनियमन और संरक्षण में भारी अनिश्चितता बनी रही है। इस बात का लाभ उठाकर इस उद्यान और संभावित ईएसज़ेड क्षेत्र के चारों ओर विकास गतिविधियाँ जैसे बोटलिंग उद्योग, आवासीय परिसरों, सड़कों के पक्कीकरण आदि का काम बेरोक टोक चल रहा है।"

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी) ने 15 जून 2016 को एक ड्राफ़्ट अधिसूचना जारी की थी जिसमें इस पार्क के चारों ओर 268.96 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जो किसी स्थान पर 100 मीटर से लेकर 4.5 किमी तक है, को ईएसज़ेड घोषित किया गया था।

इसके बाद केंद्र ने 31 अक्टूबर 2018 को एक नयी अधिसूचना जारी की जिसमें इस पार्क के चारों ओर 168.84 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को जो कहीं 100 मीटर से लेकर 1 किलोमीटर तक है, ईएसज़ेड घोषित कर दिया।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि अगर 2018 की ड्राफ़्ट अधिसूचना के अनुरूप बीएनपी के ईएसज़ेड क्षेत्र में कमी की गई तो इससे क्षेत्र की नाज़ुक पारिस्थितिकी को नुक़सान पहुँचेगी जिसकी भरपाई मुश्किल होगी।

अपील में कहा गया है कि "2016 की ड्राफ़्ट अधिसूचना में शामिल क्षेत्र बीएनपी से कावेरी पशु अभयारण्य और इसके आगे के संरक्षित क्षेत्रों तक हाथियों के आवागमन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

बीएनपी के चारों ओर ईएसज़ेड क्षेत्र में कमी से बीएनपी के सबसे संकीर्ण हिस्से के पास जैव संवेदनशील क्षेत्र इससे अलग हो गया है। ये क्षेत्र हैं शिवनहल्ली, गट्टीगुंड और थेरूबीडी, जैसा कि 2018 की ड्राफ़्ट अधिसूचना में दिखाई गई है। बीएनपी के लंबी अवधि के संरक्षण के लिए जैव-संवेदनशील क्षेत्र का होना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।"

इस अपील में अदालत से कहा गया है कि वह केंद्र सरकार को 2016 ड्राफ़्ट अधिसूचना को अंतिम रूप देने को कहे और इसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं करे। सरकार को 2018 में जारी अधिसूचना को वापस लेने का निर्देश देने और बीएनपी के संभावित ईएसज़ेड क्षेत्र में किसी भी तरह की विकास गतिविधियों पर रोक लगाने की भी माँग की गई है। अदालत ने इस मामले में प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए मामले को 3 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया।

Next Story