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NDPS : सिर्फ प्रयोगशाला की रिपोर्ट पेश करना कि परीक्षण किया गया नमूना मादक पदार्थों है, निर्णायक प्रमाण नहीं हो सकता : SC [निर्णय पढ़े]
![NDPS : सिर्फ प्रयोगशाला की रिपोर्ट पेश करना कि परीक्षण किया गया नमूना मादक पदार्थों है, निर्णायक प्रमाण नहीं हो सकता : SC [निर्णय पढ़े] NDPS : सिर्फ प्रयोगशाला की रिपोर्ट पेश करना कि परीक्षण किया गया नमूना मादक पदार्थों है, निर्णायक प्रमाण नहीं हो सकता : SC [निर्णय पढ़े]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2019/08/04362659-justice-ashok-bhushan-and-justice-navin-sinha-sc-newjpg.jpg)
सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा है कि सिर्फ प्रयोगशाला रिपोर्ट प्रस्तुत करना कि परीक्षण किया गया नमूना ड्रग्स है, नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत एक मामले में निर्णायक सबूत नहीं हो सकता है।
विजय पांडे बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में अभियुक्तों द्वारा दी गई दलील यह थी कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 50 इससे संबंधित नहीं है क्योंकि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि अदालत में पेश नमूना आरोपी से ही जब्त किया गया था। राज्य का तर्क यह था कि ट्रायल कोर्ट ने अपनी संतुष्टि दर्ज की थी कि अदालत में प्रस्तुत नमूना आरोपी से ही जब्त किया गया था और इससे अपीलकर्ता को कोई पूर्वाग्रह नहीं हुआ है।
विजय जैन बनाम मध्य प्रदेश राज्य के मामले में अपने फैसले का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा :
"वर्तमान मामले में अभियोजन की विफलता जब्त किए गए नमूने से संबंधित है कि अपीलकर्ता से जब्त किया गया नमूना और पेश किया गया नमूना अलग नहीं है। इन परिस्थितियों में सिर्फ प्रयोगशाला की रिपोर्ट पेश करना कि परीक्षण किया गया नमूना मादक पदार्थों है, निर्णायक प्रमाण नहीं हो सकता है। जब्त किया गया नमूना और परीक्षण किया गया नमूना संबंधित होना चाहिए।"
राज्य का एक अन्य तर्क यह भी था कि आरोपी का एनडीपीएस अधिनियम के तहत पिछला इतिहास है और वह एक आदतन अपराधी (habitual offender) है। इस दलील को खारिज करते हुए पीठ ने कहा:
पहले की सजा का तथ्य सजा के उद्देश्य के लिए प्रासंगिक हो सकता है लेकिन दोषसिद्धी के लिए एक आधार नहीं हो सकता।